उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में भीषण चक्रवाती तूफानों की तीव्रता में वृद्धि हुई है: अध्ययन
By भाषा | Published: July 29, 2021 05:01 PM2021-07-29T17:01:36+5:302021-07-29T17:01:36+5:30
नयी दिल्ली, 29 जुलाई उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में भीषण चक्रवाती तूफानों की तीव्रता में बीते चार दशक में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है। यह जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा हाल में किए गए अध्ययन में सामने आई है।
भीषण चक्रवाती तूफानों की बढ़ती तीव्रता के प्रमुख सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ हैं और इसकी वजह उच्च सापेक्ष आर्द्रता, खासकर मध्य वायुमंडलीय स्तर पर, उर्ध्वाधर वायु कर्तन के क्षीण होने के साथ-साथ समुद्र की सतह का गर्म तापमान (एसएसटी) है।
अध्ययन कहता है कि इस बढ़ती प्रवृत्ति को लाने में ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका का संकेत मिलता है। आईआईटी खड़गपुर के महासागर इंजीनियरिंग विभाग एवं नेवल आर्किटेक्चर के जिया अल्बर्ट, अथिरा कृष्णन और प्रसाद भास्करन समेत वैज्ञानिकों की एक टीम ने वेल्लोर में वीआईटी विश्वविद्यालय में आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र के के एस सिंह के साथ मिलकर एक अध्ययन किया। इसमें उत्तर हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवात गतिविधि पर बड़े स्तर पर पर्यावरणीय प्रवाह में अहम वायुमंडलीय मापदंडों और अल नीनो-सदर्न ऑसलेशन (ईएनएसओ) की भूमिका और प्रभाव का अध्ययन किया गया है।
इस अध्ययन में उनका जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (सीसीपी) के तहत आने वाले विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने सहयोग किया है। मानसून से पूर्व के मौसम के दौरान बनने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है। हाल के दशकों (सन 2000 से) यह प्रवृत्ति बंगाल की खाडी और अरब सागर बेसिन, दोनों स्थानों पर अधिक पाई गई है।
अध्ययन के मुताबिक, क्षोभमंडल में जल वाष्प का हिस्सा बढ़ा है। पिछले दो दशकों (2000-2020) के दौरान ला नीनो वर्षों में अल नीनो वर्षों की तुलना में तीव्र चक्रवातों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
डीएसटी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग और इसके प्रभाव के कारण वैश्विक महासागर बेसिनों के ऊपर बार-बार और उच्च तीव्रता वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात बनना चिंता का मामला है। उसने कहा कि उत्तर हिंद महासागर में उच्च तीव्रता वाले चक्रवात बार बार आ रहे हैं जिससे तटीय क्षेत्रों के लिए खतरा बढ़ा है। यह अध्ययन ‘क्लाइमेट डायनेमिक्स’ नाम के जर्नल में हाल में प्रकाशित हुआ है।
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