आरक्षण पर सियासत, संसद में फिर उठेगा मुद्दा, कपिल सिब्बल बोले- SC/ST को मान लेना चाहिए कि BJP सरकार उनके पक्ष में कभी नहीं रहेगी
By पल्लवी कुमारी | Published: February 10, 2020 08:25 AM2020-02-10T08:25:18+5:302020-02-10T08:25:18+5:30
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मद्देनजर केन्द्र सरकार या तो पुनर्विचार याचिका दायर करे, या फिर आरक्षण को मूल अधिकार बनाने के लिए संविधान में संशोधन करे।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। इधर ये मामला आज संसद में भी उठाया जा सकता है। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष ही नहीं, एनडीए के सहयोगी दलों ने भी केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करेंगे।
वहीं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है, 'बीजेपी नहीं चाहती की एससी/एसटी समुदाय को प्रमोशन में आरक्षण मिले। ये संसद में कहेंगे और चाहेंगे की एससी/एसटी समुदाय उनको वोट दें। जब लागू करने की बात आती है तो बीजेपी सरकार ने इसका विरोध किया और कहा राज्य सरकार चाहे तो इसको लागू करे, अगर चाहे तो लागू न करे।'
कपिल सिब्बल ने कहा, अब एससी/एसटी को ये मान लेना चाहिए कि बीजेपी सरकार उनके पक्ष में कभी नहीं रहेगी। वोट के लिए जरूर रहेगी, पर जब समय आएगा इनका विरोध करेगी। ये एससी/एसटी के विरोधी हैं। हमेशा रहे थे।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल: अब एससी/एसटी को ये मान लेना चाहिए कि भाजपा सरकार उनके पक्ष में कभी नहीं रहेगी। वोट के लिए जरूर रहेगी, पर जब समय आएगा इनका विरोध करेगी। ये एससी/एसटी के विरोधी हैं। हमेशा रहे थे। https://t.co/pTIkk854XL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 9, 2020
कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह नियुक्तियों और प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमत है। पार्टी ने आरोप लगाया कि बीजेपी शासन में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति समुदायों के अधिकार खतरे में है। कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पार्टी इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठायेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को कहा कि आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मद्देनजर केन्द्र सरकार या तो पुनर्विचार याचिका दायर करे, या फिर आरक्षण को मूल अधिकार बनाने के लिए संविधान में संशोधन करे। खड़गे ने कहा, ‘‘कम से कम अब भारत सरकार को जागना चाहिए। वे या तो विधि विभाग से सलाह करके संविधान के अनुच्छेद 16(4)(बी) और (सी) में संशोधन कर सकते हैं या फिर पुनर्विचार याचिका दायर कर मामले की सुनवाई संविधान पीठ द्वारा कराए जाने का अनुरोध कर सकते हैं।’’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है तथा पदोन्नति में आरक्षण का दावा कोई मूल अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर इसमें कोई शक नहीं है कि राज्य सरकारें आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। ऐसा कोई मूल अधिकार नहीं है जिसके तहत कोई व्यक्ति पदोन्नति में आरक्षण का दावा करे।’’
उत्तराखंड सरकार के पांच सितम्बर 2012 के फैसले को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने यह टिप्पणी की। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण उपलब्ध कराये बगैर सार्वजनिक सेवाओं में सभी पदों को भरे जाने का फैसला लिया गया था।
वासनिक ने कहा, ‘‘हम सम्मानपूर्वक कहते हैं कि हम इस निर्णय से सहमत नहीं हैं...भाजपा सरकार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अधिकार सुरक्षित नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी का मानना है कि सरकारी पदों पर एससी/एसटी समुदाय के लोगों की नियुक्ति सरकारों के विवेकाधिकार पर नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकार है।’’