नई दिल्ली: बिहार सरकार द्वारा कराए गए जातीय जनगणना पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। इसके साथ ही एससी ने कहा कि आंकड़ें प्रकाशित होने से हम नहीं रोक सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी सरकार के नीति निर्माण में दखलअंदाजी नहीं कर सकते हैं।
याचिका पर सुनवाई संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने की है। यह सुनवाई पटना हाई कोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती वाली याचिका पर अपना आदेश रखा है। बताते चले कि पटना उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बिहार सरकार को जातीय जनगणना कराने के लिए हरी झंडी दी थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने बिहार सरकार से अगले चार हफ्तों में जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता के वकील की मानें तो बिहार सरकार ने जो जातीय जनगणना कराई है वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार नहीं है और सर्वे के लिए जानकारी इकट्ठा करने का कोई वैध उद्देश्य नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम इस प्वाइंट पर कुछ भी नहीं रोक रहे हैं और हम राज्य सरकार या किसी सरकार को नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकते। यह गलत होगा।
उच्चतम न्यायालय ने कहा, "हम दूसरे मुद्दों को देखने जा रहे हैं, जो राज्य सरकार से संबंधित हैं"। अब आगे की सुनवाई के लिए जनवरी 2024 की तारीख कोर्ट ने मुर्करर की है।
बीती 2 अक्टूबर को नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना का डाटा जारी किया था। बता दें कि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ये आंकड़ें राज्य सरकार ने प्रदेश की कुल जनसंख्या के 63 फीसद लोगों पर करवाए हैं।