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राम देव और आचार्य बालकृष्ण को अगली सुनवाई में SC ने पेश होने का दिया आदेश, दवाईयों के भ्रामक प्रचार मामले में बढ़ सकती हैं मुश्किलें!

By आकाश चौरसिया | Updated: March 19, 2024 12:48 IST

सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु रामदेव को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने को कहा है।

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर पतंजलि प्रमुख को सुनवाई के लिए बुलायाअब दूसरी सुनवाई में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को पेश होना होगाइस केस में आज जस्टिस हिमा कोहली, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने सुनवाई की

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु रामदेव को सुनवाई की अगली तारीख पर पेश होने को कहा है। एलोपैथिक दवा प्रभाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि पहली नजर में दोनों ने कानून का उल्लंघन किया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी। 

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पतंजलि की ओर से कोर्ट में अपनी बात रखने के लिए पेश हुए। उन्होंने कोर्ट की मानहानि उल्लंघन के मामले में अपने तर्क रखे। हालांकि, इस केस में आज जस्टिस हिमा कोहली, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने सुनवाई करी और उन्होंने ने ही ये अगली सुनवाई में पेश होने के लिए आदेश दिया। 

पतंजलि आयुर्वेद और उसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें अदालती आदेशों के उल्लंघन पर सवाल उठाया गया था और संभावित अवमानना ​​कार्यवाही की चेतावनी दी गई थी। पीठ ने टिप्पणी की कि बालकृष्ण और रामदेव प्रथम दृष्टया ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3 और 4 का उल्लंघन कर रहे हैं।

क्या है पतंजलि का भ्रामक प्रचार मामला?अगस्त, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी किया था। याचिका में आईएमए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आधुनिक दवाईयों के खिलाफ पतंजलि भ्रामक प्रचार कर रहा है। 

नवंबर में, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को विभिन्न बीमारियों के इलाज में उसकी दवाओं की प्रभावकारिता के बारे में अपने विज्ञापनों में झूठे और भ्रामक दावों का प्रचार और प्रसार करने के प्रति आगाह किया। कोर्ट ने पतंजलि को चेतावनी दी थी कि भ्रामक विज्ञापनों के लिए उस पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद और प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी कर पूछा था कि अपने प्रोडक्ट्स के विज्ञापन और उनकी औषधीय प्रभाव में कोर्ट में दिए गए कंपनी के शपथपत्र का प्रथम दृष्यटा उल्लंघन करने पर कोर्ट ने कहा था कि अवमानना कार्यवाही क्यों ने उनपर करनी चाहिए।

इसके साथ कोर्ट ने न्यायालय को निर्देश देते हुए कहा था कि वह उस विज्ञापन पर पतंजलि के खिलाफ उठाए गए कदमों पर कोर्ट को स्पष्टीकरण दे, जिसमें मधुमेह, बीपी, थायराइड, अस्थमा, ग्लूकोमा और गठिया आदि जैसी बीमारियों से स्थायी राहत, इलाज और उन्मूलन का दावा किया गया था। 

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