नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के नेतृत्व में चल रही आयुर्वेद फर्म पतंजलि द्वारा किए गए विज्ञापन को गलत ठहराते हुए उसपर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया। इस मामले में भारत में लोकप्रिय आयुर्वेद ब्रांड द्वारा भ्रामक और झूठे विज्ञापन देने का आरोप लगे हैं। इसके साथ ही पतंजलि को गलत एड के लिए मानहानि नोटिस भी जारी कर दिया है।
साक्ष्य-आधारित दवा को बदनाम करने के लिए बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस बात की जानकारी बार एंड बैंच द्वारा बताई गई है। शीर्ष अदालत ने पिछले निर्देशों के विपरीत पारंपरिक रसायन-आधारित दवाओं पर पतंजलि के दावों के पीछे के तर्क पर सवाल उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
शीर्ष अदालत ने पिछले कोर्ट के निर्देशों के विपरीत पारंपरिक रसायन-आधारित दवाओं पर श्रेष्ठता के पतंजलि के साहसिक दावों के पीछे के तर्क पर सवाल उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरे देश को दो साल तक भ्रम में रखा गया है, आप इंतजार करें जब ड्रग्स अधिनियम कहता है कि यह निषिद्ध है।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने न्यूजपेपर में पतंजलि के एड को बताया कि यह पूरी तरह से निराश करने वाला है। उन्होंने पूछा कि कोर्ट के मना करने के बाद भी आप ने इस तरह से लोगों को भ्रमित किया, उन्होंने कोर्ट में आंख तरोड़ते हुए गुस्से में कहा कि इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि आज सख्त आदेश देने जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि आप इस आर्युवेदिक दवाई के जरिए कैसे लोगों को ठीक कर सकते हैं? हमारे आदेश के बावजूद आप ने ये दावा किया कि ये केमिकल-बेस्ड मेडिकल कंपनी से अच्छी दवा है। इस कारण आप ने लोगों को लगभग 2 साल भ्रम में रखा। आप इसका इंतजार कर रहे थे कि ड्रग एक्ट के जरिए आप पर प्रतिबंध लगे।
कोर्ट आयुर्वेद के स्वास्थ्य से संबंधित तमाम विज्ञापनों पर रोक लगा दी। इसके अलावा कोर्ट की ओर से कहा गया था कि नवंबर महीने में ही कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि अगर आदेश पालन नहीं किया जाता है तो जांच के बाद कंपनी के तमाम प्रोडक्ट्स पर 1-1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।