कश्मीर में इंटरनेट बहाल करने की याचिका पर सुप्रीम अदालत में सुनवाई, कोर्ट ने मोदी सरकार को जारी किया नोटिस
By रामदीप मिश्रा | Updated: September 30, 2019 11:34 IST2019-09-30T11:20:13+5:302019-09-30T11:34:37+5:30
केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदेशों में बांटने के फैसले की पूर्व संध्या पर चार अगस्त की शाम से घाटी में पाबंदियां लागू हैं।

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देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार (30 सितंबर) को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया था कि कोर्ट सरकार को जम्मू-कश्मीर के सभी अस्पतालों और चिकित्सा प्रतिष्ठानों में हाई स्पीड इंटरनेट सेवाओं और फिक्स्ड लैंडलाइन फोन सेवाओं को बहाल करने के निर्देश दे।
Supreme Court issues notice to the Centre on a PIL seeking direction for the government to immediately restore high speed internet services and fixed landline phone services across all hospitals and medical establishments of the Jammu and Kashmir. pic.twitter.com/BAMGuSvBpg
— ANI (@ANI) September 30, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार विशेषज्ञ एनाक्षी गांगुली और प्रो शांता सिन्हा द्वारा दायर जनहित याचिका को संविधान पीठ को भेज दिया, जिसमें अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मद्देनजर जम्मू और कश्मीर में बच्चों को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाया गया। सुप्रीम कोर्ट कल से अनुच्छेद 370 से संबंधित याचिका पर सुनवाई शुरू करेगी।
Supreme Court sends to Constitution Bench a PIL filed by child rights expert Enakshi Ganguly&Prof Shanta Sinha, alleging illegal detention of children in Jammu&Kashmir in the wake of abrogation of Article 370. SC to commence hearing on the pleas relating to Art370 from tomorrow pic.twitter.com/nLkpmN81Os
— ANI (@ANI) September 30, 2019
इसके अलावा एससी ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े सभी मामले संविधान पीठ को भेजे हैं। वहीं, पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला को राहत नहीं मिली है। उनकी ओर से नजरबंद किए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में प्रदेशों में बांटने के फैसले की पूर्व संध्या पर चार अगस्त की शाम से घाटी में पाबंदियां लागू हैं।
इधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि कश्मीर घाटी में अब कोई प्रतिबंध नहीं है और समूचे विश्व ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने का समर्थन किया है। शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पांच अगस्त को लिए गए साहसिक कदम की वजह से जम्मू-कश्मीर अगले 5-7 साल में देश का सबसे विकसित क्षेत्र होगा।
गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर में 196 थाना-क्षेत्रों में से हर जगह से कर्फ्यू हटा लिया गया है और सिर्फ आठ थाना-क्षेत्रों में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पाबंदियां लगाई गई हैं। इस धारा के तहत पांच या इससे ज्यादा लोग एक साथ इकट्ठा नहीं हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों से मोबाइल कनेक्शन नहीं चलने को लेकर लोग हल्ला कर रहे हैं। फोन की कमी से मानवाधिकार उल्लंघन नहीं होता है। जम्मू-कश्मीर में 10,000 नए लैंडलाइन कनेक्शन दिए गए हैं, जबकि बीते दो महीने में छह हजार पीसीओ दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ अनुच्छेद 370 पर फैसला भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करेगा।