सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ याचिका पर जवाब के लिए 4 हफ्ते का समय दिया
By विनीत कुमार | Updated: October 1, 2019 12:11 IST2019-10-01T12:05:49+5:302019-10-01T12:11:14+5:30
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं डाली गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ याचिका पर जवाब के लिए 4 हफ्ते का समय दिया
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को 4 हफ्ते का समय दे दिया है। साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को तय कर दी है। इससे पहले आर्टिकल 370 हटाये जाने पर दायर याचिकाओं से जुड़ी सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने अपना जवाब दायर करने के लिए समय की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूर किया और याचिकाकर्ताओं के उस अनुरोध को ठुकरा दिया कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को जवाबी हलफनामे दायर करने के लिए दो सप्ताह से अधिक समय नहीं दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि यह निर्देश मंगलवार तक आये सभी याचिकाओं को लेकर लागू होंगे। यही नहीं, कोर्ट ने ये भी सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से कहा कि इसी मुद्दे पर अब और रिट पेटिशन मंजूर नहीं किये जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच कर रही है।
Supreme Court granted Centre four weeks time to file its reply on the various petitions challenging abrogation of Article 370 in Jammu and Kashmir and fixed the matter for further hearing on November 14.
— ANI (@ANI) October 1, 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए शनिवार को एक संविधान पीठ गठित की थी। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत शामिल हैं।
बता दें कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र के पांच अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं।