नई दिल्लीः सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने अब तक नेपाल जेल से भागे 60 कैदियों को पकड़ा है। इन सभी को भारत-नेपाल सीमा पर विभिन्न चौकियों पर रखा गया है। सभी कैदियों को स्थानीय पुलिस के हवाले कर दिया गया है। 22 कैदी उत्तर प्रदेश में भारत-नेपाल सीमा पर, 10 बिहार में और तीन बंगाल में पकड़े गए। अपने देश में अशांति के दौरान जेल तोड़कर भागने का संदेह है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एसएसबी के जवानों ने पिछले दो दिनों में उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमा चौकियों से इन्हें पकड़ा है।
उन्होंने बताया कि इन्हें संबंधित राज्य पुलिस बलों को सौंप दिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि पकड़े गए लोगों में से दो या तीन ने भारतीय मूल का होने का दावा किया है और इसकी पुष्टि की जा रही है। गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत एसएसबी भारत के पूर्वी हिस्से में 1,751 किलोमीटर लंबी बिना बाड़ वाली भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा करता है।
इसने बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में लगभग 50 बटालियन, यानी लगभग 60,000 कर्मियों को तैनात किया है, जो नेपाल के साथ सीमा साझा करते हैं। नेपाल में विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर एसएसबी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सतर्कता ‘‘बढ़ा दी’’ है तथा सीमा पर नजर रखी जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एसएसबी अपने नेपाली समकक्ष एपीएफ के संपर्क में है।
उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वतंत्र फ्लैग मार्च के अलावा उनके साथ संयुक्त गश्त भी की है, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि भारत, नेपाल में हाल के घटनाक्रम से उत्पन्न किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है।’’ उन्होंने कहा कि नेपाल को हर तरह के सहयोग का आश्वासन दिया गया है और वैध पहचान पत्र के साथ दोनों देशों के वास्तविक नागरिकों को सीमा पार करने की अनुमति दी जा रही है।
नेपाल में सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच बृहस्पतिवार को एक जेल में सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान तीन कैदियों की मौत हो गई, जबकि अब तक 24 से अधिक जेलों से 15,000 से अधिक कैदी फरार हो चुके हैं।
अधिकारियों ने बताया कि ताजा घटनाक्रम के साथ, मंगलवार से भड़की हिंसा के दौरान सुरक्षा बलों के साथ हुई झड़पों में मरने वाले कैदियों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है। हिंसक प्रदर्शन के कारण के पी शर्मा ओली को मंगलवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, जिसके बाद नेपाल सेना ने गंभीर कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण विभिन्न प्रांतों में प्रतिबंध लगा दिए।