सरदार पटेल जयंती: जूनागढ़ का नवाब, हैदराबाद का निजाम नहीं थे 'तैयार', जानें पटेल ने कैसे कराया इन दोनों समेत 562 रियासतों का भारत में विलय
By अभिषेक पाण्डेय | Updated: October 31, 2019 07:19 IST2019-10-31T07:19:47+5:302019-10-31T07:19:47+5:30
Sardar Vallabhbhai Patel Birth Anniversary: देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अगस्त 1875 को गुजरात में हुआ था, आज उनकी 144वीं जयंती मनाई जा रही है

देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष के नाम से जाना जाता है
देश के पहले गृह मंत्री और आजादी में अमूल्य योगदान देने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल को देश को एकता के सूत्र में पिरोने के उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए 'लौह पुरुष' या सरदार पटेल भी कहा जाता है।
31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार पटेल की आज 144वीं जयंती मनाई जा रही है। सरदार पटेल को स्वतंत्रता के बाद देश की रियासतों के भारत में विलय के लिए उनके मजबूत मनोबल और दृढ़ निश्चय के लिए जाना जाता है। आजादी के समय भारत में 562 रियासते थी, जिन्हें सरदार पटेल ने अपनी सूझबूझ से बेहद कुशलता के साथ भारत में विलय का मार्ग प्रशस्त किया।
इन रियासतों में से केवल तीन- जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर रियासते ऐसी थीं, जो भारत में विलय के लिए तैयार नहीं हुई थीं। सरदार पटेल ने जिस तरह विद्रोह के लिए तैयार बैठी जूनागढ़ और हैदराबाद रियासतों का भारत में विलय किया, उसने सच में उनको लौह पुरुष साबित किया।
भारत की आजादी के समय अंग्रेजों ने इन रियासतों के सामने भारत या पाकिस्तान में खुद का विलय करने या संप्रभु रहने का प्रस्ताव रखा था।
सरदार पटेल ने सिविल सर्वेंट वीपी मेनन के साथ मिलकर 5 जुलाई 1947 को देश की आजादी से पहले ही सभी 562 रियासतों को भारत में विलय का संदेश भेजते हुए उनके लिए 15 अगस्त 1947 की समयसीमा तय कर दी थी। इस तारीख तक सिर्फ जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर शेष सभी रियासतों ने भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था।
जूनागढ़ पाकिस्तान के साथ विलय को था तैयार!
जूनागढ़ रियासत का विलय इसलिए भी सरदार पटेल के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था क्योंकि ये उनके गृह राज्य गुजरात में था। जूनागढ़ का नवाब महाबत खान था। मुस्लिम लीग और जिन्ना के इशारों पर बेनजीर भुट्टो के दादा और जुल्फिकार अली भुट्टो के पिता शाह नवाज भुट्टो को जूनागढ़ रियासत के दीवान नबी बख्श को हटाकर वहां का दीवान बनाया गया।
शाह नवाज के दबाव में नवाब महाबत खान ने पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया, पाकिस्तान ने 13 सितंबर 1947 को ये फैसला स्वीकार भी कर लिया। लेकिन 80 फीसदी हिंदू आबादी वाली जूनागढ़ की जनता ने इस फैसले के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
नवाब के इस फैसले से खुद सरदार पटेल भी नाराज हुए और उन्होंने सेना भेजकर जूनागढ़ के दो बड़े प्रांतों मांगरोल और बाबरिवाड़ पर कब्जा जमा लिया, जिसके बाद नवाब और भुट्टो दोनों ही पाकिस्तान भाग गए।
इसके बाद शाह नवाज भुट्टो ने नंवबर 1947 में जूनागढ़ के पाकिस्तान में विलय को खारिज करते हुए भारत में विलय करने का ऐलान कर दिया। हालांकि सरदार पटेल के सेना के इस्तेमाल के फैसले से लार्ड माउंटबेटन नाखुश थे, जिसके बाद पटेल ने जूनागढ़ में जनमत संग्रह कराने का फैसला किया और इसमें 99.5 फीसदी जनता ने भारत के साथ जाने का फैसला किया। आखिरकार 20 फरवरी 1948 को जूनागढ़ आधिकारिक रूप से भारत में शामिल हो गया।
सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम के विद्रोह को दबाया
जूनागढ़ की तरह ही हैदराबाद भी भारत के साथ विलय को लेकर ना-नुकुर कर रहा था। हैदराबाद उस समय देश की सबसे बड़ी और सम्पन्न रियासतों में थी। इसमें आज के तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के भी हिस्से शामिल थे। हैदराबाद की बहुसंख्यक आबादी (करीब 85 फीसदी) हिंदू थी, लेकिन यहां के शासक मुस्लिम थे। हैदराबाद के निजाम ओसमान अली खान आसिफ ने भारत के साथ विलय के बजाय स्वतंत्र रहने का फैसला किया और उसने 15 अगस्त 1947 को खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया।
इस बात से सरदार पटेल बिफर गए और उन्होंने लार्ड माउंटबेटन की सैन्य शक्ति इस्तेमाल न करने की सलाह को दरकिनार करते हुए हैदराबाद पर आक्रमण के लिए सेना भेज दी।
इसे 'ऑपरेशन पोलो' नाम दिया गया, क्योंकि उस समय हैदराबाद में दुनिया में सर्वाधिक 17 पोलो के मैदान थे। भारतीय सेना के आक्रमण में निजाम की रक्षा के लिए काम कर रही रजाकर में शामिल हजारों लोग मारे गए और हैदराबाद के निजाम ने पांच दिनों में ही 17 सितंबर को हथियार डाल दिए भारत ने हैदराबाद को जीतते हुए उसका विलय कर लिया। 19 सितंबर 1948 को हैदराबाद आधिकारिक रूप से भारत का हिस्सा बन गया।
वरिष्ठ पत्रकार रहे कुलदीप नैयर ने अपनी किताब बियॉन्ड द लाइन्स में लिखा है कि हैदराबाद के निजाम ने पाकिस्तान से संपर्क किया था और मोहम्मद अली जिन्ना से भारत के खिलाफ उनकी मदद की सूरत में पाकिस्तान में विलय की बात कही थी, लेकिन जिन्ना ने ये कहते हुए निजाम का प्रस्ताव ठुकरा दिया था कि वह कुछ संभ्रातों के लिए भारत की नाराजगी मोल नहीं लेंगे।
सरदार पटेल ने जूनागढ़ और हैदराबाद रियासतों के भारत में विलय का काम जिस दृढ़ निश्चय और अदम्य इच्छाशक्ति से किया, उसके लिए उन्हें हमेशा 'द आयरन मैन ऑफ इंडिया' के तौर पर सदैव याद रखा जाएगा।