Same Sex Marriages: समलैंगिकता केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज के उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं है, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह मामले में कहा...

By सतीश कुमार सिंह | Published: October 17, 2023 11:18 AM2023-10-17T11:18:14+5:302023-10-17T11:27:22+5:30

Same Sex Marriages in India: ​​​​​​न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुनाना शुरू किया।

Same Sex Marriages in India Chief Justice Chandrachud said in gay marriage case Homosexuality is not just an urban concept or limited to the upper class of the society | Same Sex Marriages: समलैंगिकता केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज के उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं है, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह मामले में कहा...

Same Sex Marriages: समलैंगिकता केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज के उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं है, प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह मामले में कहा...

Highlightsइस मामले में चार अलग-अलग फैसले हैं।केवल इसकी व्याख्या कर सकती है और इसे प्रभावी बना सकती है। यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है।

Same Sex Marriages in India: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाने के लिए उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर रही हैं। ​​​​​​न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुनाना शुरू किया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अदालत द्वारा निर्देश जारी करने के रास्ते में नहीं आ सकता। अदालत कानून नहीं बना सकती बल्कि केवल उसकी व्याख्या कर सकती है और उसे प्रभावी बना सकती है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह मामले में कहा कि समलैंगिकता केवल शहरी अवधारणा नहीं है या समाज के उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं है। यह अदालत कानून नहीं बना सकती, वह केवल इसकी व्याख्या कर सकती है और इसे प्रभावी बना सकती है। इस मामले में चार अलग-अलग फैसले हैं।

समलैंगिक विवाह मामले पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "चार फैसले हैं, फैसलों में कुछ हद तक सहमति और कुछ हद तक असहमति होती है।" वैवाहिक समानता मामला | सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "यह कहना गलत है कि विवाह एक स्थिर और अपरिवर्तनीय संस्था है।

अगर विशेष विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया गया तो यह देश को आजादी से पहले के युग में ले जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम की व्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता है या नहीं, यह संसद को तय करना है। इस न्यायालय को विधायी क्षेत्र में प्रवेश न करने के प्रति सावधान रहना चाहिए।"

विवाह मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक अक्कई पद्मशाली ने कहा कि 10.30 बजे देश की संवैधानिक पीठ बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाने जा रही है जो वैवाहिक समानता की बात करता है। 25 से अधिक याचिकाकर्ता इस बात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गए हैं कि हम लेस्बियन, समलैंगिक, ट्रांसजेंडर, उभयलिंगी लोग शादी क्यों नहीं कर सकते?...

अगर मैं किसी पुरुष से शादी करना चाहती हूं और वह सहमत है तो इसमें समाज का क्या मतलब है? विवाह व्यक्तियों के बीच होता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह कल्पना करना कि समलैंगिकता केवल शहरी इलाकों में मौजूद है, उन्हें मिटाने जैसा होगा, किसी भी जाति या वर्ग का व्यक्ति समलैंगिक हो सकता है।

Web Title: Same Sex Marriages in India Chief Justice Chandrachud said in gay marriage case Homosexuality is not just an urban concept or limited to the upper class of the society

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