समलैंगिक विवाह मामलाः शादी की परिभाषा क्या है, यह किसके बीच वैध मानी जाएगी?; केंद्र ने SC से कहा- इसे संसद पर छोड़ दें

By अनिल शर्मा | Updated: April 26, 2023 15:23 IST2023-04-26T15:03:50+5:302023-04-26T15:23:05+5:30

सुनवाई के चौथे दिन (मंगलवार) याचिकाकर्ताओं की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिये जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि यदि एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय को यह मूल अधिकार नहीं दिया जाता है तो देश की जीडीपी का सात प्रतिशत प्रभावित हो जाएगा।

Same-sex marriage govt said to SC what is definition of marriage between whom it is considered valid | समलैंगिक विवाह मामलाः शादी की परिभाषा क्या है, यह किसके बीच वैध मानी जाएगी?; केंद्र ने SC से कहा- इसे संसद पर छोड़ दें

समलैंगिक विवाह मामलाः शादी की परिभाषा क्या है, यह किसके बीच वैध मानी जाएगी?; केंद्र ने SC से कहा- इसे संसद पर छोड़ दें

Highlightsसॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि आप एक बेहद जटिल मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने कहा कि  इसका कई अन्य कानूनों पर असर पड़ेगा, जिन पर समाज में बहस की जरूरत होगी। 

Same Sex Marriage: समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के सामने दलील रखते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि असली सवाल यह है कि शादी की परिभाषा क्या है और यह किसके बीच वैध मानी जाएगी, इस पर फैसला कौन करेगा। 

 केंद्र की ओर से न्यायालय में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि आप एक बेहद जटिल मुद्दे पर सुनवाई कर रहे हैं, जिसके व्यापक सामाजिक प्रभाव हैं। केंद्र ने बुधवार को शीर्ष न्यायालय से अनुरोध किया कि वह समलैंगिक विवाहों को कानूनी मंजूरी देने की मांग करने वाली याचिकाओं में उठाये गये प्रश्नों को संसद के लिए छोड़ देने पर विचार करे।

 केंद्र सरकार ने कहा कि इसका कई अन्य कानूनों पर असर पड़ेगा, जिन पर समाज में बहस की जरूरत होगी। तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एस. के. कौल, न्यायमूर्ति एस.आर. भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ से कहा,  कई अन्य विधानों पर भी इसका अनपेक्षित प्रभाव पड़ेगा, जिस पर समाज में और विभिन्न राज्य विधानमंडलों में चर्चा करने की जरूरत होगी।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने चौथे दिन मंगलवार कहा था कि यदि समलैंगिक विवाह की अनुमति दी जाती है तो इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए न्यायिक व्याख्या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 तक सीमित नहीं रहेगी और पर्सनल लॉ भी इसके दायरे में आ जाएगा।

सुनवाई के चौथे दिन (मंगलवार) याचिकाकर्ताओं की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिये जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि यदि एलजीबीटीक्यूआईए समुदाय को यह मूल अधिकार नहीं दिया जाता है तो देश की जीडीपी का सात प्रतिशत प्रभावित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि समलैंगिक लोगों के विवाह का यदि यहां पंजीकरण नहीं होगा तो वे बेहतर अधिकारियों के लिए दूसरे देश रहने चले जाएंगे। उन्होंने दलील दी कि यह ‘समलैंगिक लोगों का प्रतिभा पलायन’ होगा।

क्या है मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट समेत अलग-अलग अदालतों में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। पिछले साल 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग दो याचिकाओं को ट्रांसफर करने की मांग पर केंद्र से जवाब मांगा था।

Web Title: Same-sex marriage govt said to SC what is definition of marriage between whom it is considered valid

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