नई दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को हैक करने की संभावना पर चल रही बहस में सैम पित्रोदा भी शामिल हो गए हैं। सैम पित्रोदा ने कहा है कि ईवीएम में हेरफेर किया जा सकता है।
एक्स पर पित्रोदा ने कहा कि मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम, आईटी, सॉफ्टवेयर, जटिल सिस्टम और कई अन्य क्षेत्रों में लगभग 60 साल बिताए हैं। मैंने ईवीएम प्रणाली का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया है और मेरा मानना है कि इसमें हेरफेर करना संभव है। दूरसंचार उद्योग की मशहूर हस्ती सैम पित्रोदा ने पिछले महीने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया था।
सैम पित्रोदा से पहले एलोन मस्क ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की थी। इसमें मनुष्यों या एआई द्वारा इवीएम को हैक किया जा सकता है। इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने टेस्ला के सीईओ की चिंताओं को दोहराया और चेतावनी दी कि जब संस्थानों में जवाबदेही की कमी होती है, तो लोकतंत्र केवल दिखावा बनकर रह जाता है, जो धोखाधड़ी वाली गतिविधियों के लिए अतिसंवेदनशील होता है।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक "ब्लैक बॉक्स" है, जिसकी जांच करने की किसी को इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत की चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर "गंभीर चिंताएं" जताई जा रही हैं।
विपक्षी दल पिछले कुछ समय से ईवीएम पर चिंता जताते रहे हैं और उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर 'वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल' (वीवीपैट) पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान करने की अपील की की थी लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया।
हालांकि हर बार चुनाव आयोग ने किसी भी तरह की धांधली को नकारा है। मतदान के आंकड़ों में हेराफेरी किए जा सकने के तर्क को खारिज करते हुए निर्वाचन आयोग (ईसी) का कहना है कि एक बार फॉर्म 17 सी उम्मीदवारों को सौंप दिया जाता है और ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में जमा किया जाता है तो आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। फॉर्म 17सी में हरेक मतदान केंद्र पर डाले गए मतों का रिकॉर्ड होता है और यह उम्मीदवारों या उनके एजेंटों को तब दिया जाता है जब ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में ले जाने से पहले सील कर दिया जाता है। फॉर्म 17सी में हर बूथ पर कुल मतदान का आंकड़ा दर्ज होता है।