सबरीमाला: मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को लेकर कोर्ट का आदेश, 24 घंटे मुहैया कराएं पुलिस सुरक्षा

By भाषा | Published: January 18, 2019 02:57 PM2019-01-18T14:57:13+5:302019-01-18T14:57:13+5:30

पीठ ने इस मामले को सबरीमला मामले की लंबित याचिकाओं से साथ जोड़ने से भी इनकार कर दिया।

Sabarimala: kerala high Court order for two women entering the temple, 24 hours police protection | सबरीमाला: मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को लेकर कोर्ट का आदेश, 24 घंटे मुहैया कराएं पुलिस सुरक्षा

सबरीमाला: मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को लेकर कोर्ट का आदेश, 24 घंटे मुहैया कराएं पुलिस सुरक्षा

उच्चतम न्यायालय ने केरल पुलिस को शुक्रवार को आदेश दिया कि सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को चौबीस घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाए।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की एक पीठ ने कहा कि वह केवल दो महिलाओं की सुरक्षा के पहलू पर विचार करेगी और याचिका में किए गए किसी अन्य अनुरोध की सुनवाई नहीं करेगी।

पीठ ने इस मामले को सबरीमला मामले की लंबित याचिकाओं से साथ जोड़ने से भी इनकार कर दिया।

सदियों पुरानी परंपरा तोड़ते हुए मंदिर में दो जनवरी को प्रवेश करने वाली 42 वर्षीय बिंदु और 44 वर्षीय कनकदुर्गा ने याचिका दर्ज की थी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस रिट याचिका पर सुनवाई को उचित मानते हुए केरल पुलिस को याचिकाकर्ता संख्या 1 (बिंदु) और याचिकाकर्ता संख्या दो (कनकदुर्गा) को चौबीस घंटे पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश देते हैं। इसके अलावा हम याचिका में उल्लिखित किसी मामले पर विचार नहीं करेंगे।’’

केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा कि सरकार इन महिलाओं को और मंदिर में प्रवेश करने वाले अन्य श्रद्धालुओं को पहले ही पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करा रही है।

उन्होंने कहा कि अब तक 51 महिला श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश कर चुकी हैं।

महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने के न्यायालय के फैसले की समीक्षा संबंधी याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील मैथ्यू जे नेदुम्पारा ने कहा कि मंदिर में किसी भी महिला श्रद्धालु ने प्रवेश नहीं किया है।

हालांकि पीठ ने इन सब मामलों पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा कि यदि केरल सरकार अदालत के आदेश के बिना ही महिला श्रद्धालुओं को सुरक्षा मुहैया करा रही है तो अदालती आदेश के बाद भी पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने में कोई नुकसान नहीं है।

महिला याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अदालत को याचिकाओं को सबरीमला मंदिर संबंधी लंबित मामलों से सीधे जोड़ने का आदेश देना चाहिए। पीठ ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया।

उल्लेखनीय है कि कनकदुर्गा और बिंदु ने इस महीने की शुरुआत में पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर में प्रवेश किया था। इससे करीब तीन महीने पहले शीर्ष अदालत ने भगवान अयप्पा के मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

मंदिर में प्रवेश करने वाली एक महिला पर उसकी सास ने हमला किया था। इसके बाद महिलाओं ने याचिका दायर करके सुरक्षा की मांग की थी।

याचिका में प्राधिकारियों को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था कि सभी आयुवर्ग की महिलाओं को बिना किसी रुकावट के मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाए और भविष्य में मंदिर में दर्शन की इच्छा रखने वाली महिलाओं को पुलिस सुरक्षा दिए जाने समेत उनका सुरक्षित प्रवेश सुनिश्चित किया जाए। इसमें महिला के जीवन एवं स्वतंत्रता को खतरे का भी जिक्र किया गया है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘प्राधिकारियों को मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को चौबीस घंटे पूर्ण सुरक्षा मुहैया कराने और उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर या किसी अन्य माध्यम से शारीरिक और\या मौखिक हिंसा करने में शामिल प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कानून के अनुसार कार्रवाई करने का आदेश दिया जाए।’’

इसमें यह आदेश दिए जाने की मांग की गई है कि 10 वर्ष से 50 वर्ष तक के आयुवर्ग की किसी भी महिला के प्रवेश के कारण शुद्धिकरण न किया जाए या मंदिर के कपाट बंद नहीं किए जाएं।

याचिका में यह घोषणा करने को कहा गया है कि 10 वर्ष से 50 वर्ष तक की आयु की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से किसी भी प्रकार से रोकना न्यायालय के 28 सितंबर, 2018 के आदेश के विपरीत है।

Web Title: Sabarimala: kerala high Court order for two women entering the temple, 24 hours police protection

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