CAA पर बवालः देश के कई इलाकों में प्रदर्शन, 10 आरोपी को साकेत कोर्ट ने भेजा जेल, सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

By भाषा | Updated: December 17, 2019 20:08 IST2019-12-17T20:08:18+5:302019-12-17T20:08:18+5:30

दिल्ली की एक अदालत ने यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के संबंध में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों को 31 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

Ruckus over CAA: Demonstration in many areas of the country, 10 accused sent to jail by Saket, Supreme Court denies | CAA पर बवालः देश के कई इलाकों में प्रदर्शन, 10 आरोपी को साकेत कोर्ट ने भेजा जेल, सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करने से हालांकि मंगलवार को इंकार कर दिया।

Highlightsपुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप हिंसा में शामिल होने के आरोप में सोमवार को इन्हें गिरफ्तार किया था।राष्ट्रीय राजधानी और केरल समेत कुछ इलाकों में हिंसक प्रदर्शनों के ताजा मामले सामने आए हैं।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को लेकर देश के कई इलाकों में छात्रों और विपक्षी नेताओं ने अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया और मंगलवार को भी हिंसक झड़पों के सिलसिले में 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया वहीं उच्चतम न्यायालय ने हिंसा की जांच के लिए समिति बनाने से जुड़ी याचिका खारिज कर दी।

दिल्ली की एक अदालत ने यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के संबंध में गिरफ्तार किए गए 10 लोगों को 31 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कामरान खान ने पहले 10 गिरफ्तार लोगों में से छह लोगों मोहम्मद हनीफ, दानिश उर्फ जफर, समीर अहमद, दिलशाद, शरीफ अहमद, मोहम्मद दानिश को न्यायिक हिरासत में भेजा था।

पुलिस ने 14 दिन के लिए उनसे हिरासत में पूछताछ की इजाजत मांगी थी। हालांकि, बाद में अदालत ने अन्य चार यूनुस खान, जुम्मन, अनल हसन, अनवार काला को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप हिंसा में शामिल होने के आरोप में सोमवार को इन्हें गिरफ्तार किया था। इनमें से कोई भी छात्र नहीं है।

राष्ट्रीय राजधानी और केरल समेत कुछ इलाकों में हिंसक प्रदर्शनों के ताजा मामले सामने आए हैं। जामिया के घायल छात्रों के एक समूह ने रविवार को नये कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा कथित कार्रवाई के दौरान “बर्बर” पिटाई, प्रताड़ना और अपमान का आरोप लगाया। कुछ कार्यकर्ताओं के साथ यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए जामिया के एक छात्र ने कहा कि जब वह पुस्तकालय में 25 अन्य छात्रों के साथ पढ़ रहा था तभी उसे “बेरहमी” से पीटा गया जबकि जामिया में कार्रवाई के दौरान कई अन्य घायल हो गए थे।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी कथित पुलिस कार्रवाई में कई पुलिस छात्र घायल हुए थे। उच्चतम न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक विरोध की घटनाओं की जांच के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित करने से हालांकि मंगलवार को इंकार कर दिया और कहा कि इस तरह की समितियां संबंधित उच्च न्यायालय द्वारा गठित की जा सकती हैं। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य का उल्लेख किया कि याचिकाकर्ताओं के प्रत्येक आरोप का केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने खंडन किया है।

पुलिस ने कहा कि उसने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के निकट हुई हिंसा में कथित भूमिका के सिलसिले में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन इनमें से कोई भी छात्र नहीं है। पुलिस ने रविवार को करीब 50 छात्रों को हिरासत में लिया था लेकिन उन्हें बाद में छोड़ दिया गया था। विश्वविद्यालय रविवार को एक तरह से जंग के मैदान में बदल गया था जब रविवार को पुलिस ने परिसर में दाखिल होकर बल प्रयोग किया। इस दौरान इलाके में हुई हिंसा में डीटीसी की चार बसों में आग लगा दी गई थी, 100 निजी वाहनों और पुलिस की 10 मोटरसाइकिलों को भी नुकसान पहुंचाया गया था।

विश्वविद्यालय में मंगलवार को भी स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। छात्र और स्थानीय लोग हाथों में तिरंगा और तख्तियां लेकर विश्वविद्यालय के बाहर नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे। भीषण ठंड के बीच इन लोगों ने विश्वविद्यालय के बाहर मार्च निकाला और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। राष्ट्रीय राजधानी के सीलमपुर इलाके में नाराज प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई। उन्होंने पुलिस पर पथराव किया और कई बसों को नुकसान पहुंचाया जबकि पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे।

इस बीच झारखंड में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर संशोधित नागरिकता कानून पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया और भारत के मुसलमानों में भय का माहौल बनाने का आरोप लगाया। अमेरिका दौरे पर गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने न्यूयॉर्क में भारतीय समुदाय को आश्वासन दिया कि नया कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है और कहा कि भारतीय संस्कृति “हमें नफरत करना नहीं सिखाती।” अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, कनाडा और इजराइल समेत कई देशों ने अपने यात्रियों को भारत की यात्रा के दौरान सतर्कता बरतने का परामर्श जारी किया है।

ऐसा देशभर में बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में किया गया है। नए कानून के तहत मुसलमानों को छोड़कर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आए ऐसे लोग जो वहां धार्मिक प्रताड़ना झेल रहे थे को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी। मंगलवार को इन कानून के खिलाफ केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, असम, पश्चिम बंगाल और देश के कई अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए।

केरल में प्रदर्शनकारियों ने सुबह से शाम तक हड़ताल का आह्वान किया था और इस दौरान राज्य परिवहन की बसों पर पथराव किया, दुकानों को जबरन बंद कराया और विरोध मार्च निकाला। इस हड़ताल का आह्वान 30 इस्लामी और राजनीतिक संगठनों ने किया था। जामिया और एएमयू छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिये हैदराबाद में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने परिसर में शांतिपूर्ण मार्च निकाला। महाराष्ट्र के पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज के छात्रों ने भी सीएए और एनआरसी के खिलाफ रैली निकाली।

तमिलनाडु में द्रमुख अध्यक्ष एम के स्टालिन ने नए कानून को “हड़बड़ी में लाया गया और निरंकुश” करार दिया और आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का लक्ष्य भारत की प्रगति नहीं बल्कि मुसलमानों के अधिकारों पर अंकुश लगाना है।

पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शनकारियों ने सड़क और रेलवे ट्रैक बाधित किया। पड़ोसी राज्य असम के गुवाहाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है और शिलांग में भी कर्फ्यू में छूट दी गई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा कानून को लागू करने के लिये राज्यों से जोर-जबर्दस्ती नहीं कर सकता।

उत्तर प्रदेश में अधिकारियों ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और आस-पास के इलाकों में हिंसा के सिलसिले में आठ छात्रों समेत गिरफ्तार किये गए 26 लोगों को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया। मऊ में सोमवार की रात 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया। मुजफ्फरनगर में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता के विरुद्ध कानून के खिलाफ फेसबुक पोस्ट लिखने पर मामला दर्ज किया गया। 

Web Title: Ruckus over CAA: Demonstration in many areas of the country, 10 accused sent to jail by Saket, Supreme Court denies

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे