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#KuchhPositiveKarteHain: रोटी बैंक एक प्रयास, ताकि कोई भूखा ना सोए, पीएम मोदी भी कर चुके हैं इसकी सराहना

By पल्लवी कुमारी | Updated: July 24, 2018 16:53 IST

''रोटी बैंक एक प्रयोग है, एक साधना है, एक प्रयास है, बढ़ रही सामाजिक गैर जिम्मेदारी को कम करने का। रोटी बैंक संघर्ष है भूख के विरुद्ध, रोटी बैंक एक महायज्ञ है, सेवा का, पुण्य का, धर्म और मानवता का।''

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नई दिल्ली, 24 जुलाई:  अगर आप दिल्ली के रहने वाले हैं और कभी घूमते-फिरते आप उत्तर दिल्ली के आजादपुर मंडी में जाएंगे तो यहां आपको एक अलग ही तरह का बैंक देखने को मिलेगा। इस बैंक में ना तो पैसे जमा किए जाते हैं, ना ही किसी तरह कोई लॉकर है, इस बैंक का नाम है रोटी बैंक। यहाँ आकर कोई भी भूखा पेट भर खाना खा सकता है। इस रोटी बैंक की शुरुआत करने वालों का कहना है, "गरीबों को पैसे देकर उन्हें भिखारी तो आसानी से बनाया जा सकता है लेकिन पेट में रोटी देकर काम करने का जज्बा नहीं जगाया जा सकता।'' इस रोटी बैंकी की शुरुआत की पूर्व मंडी महासचिव राजकुमार भाटिया ने। लोकमत न्यूज हिंदी के स्वतंत्रता दिवस के कैम्पेन #KuchhPositiveKarteHain में आज कहानी दिल्ली के इस अनोखे रोटी बैंक की। 

राजकुमार भाटिया के मुताबिक इस रोटी बैंक की शुरुआत जून 2015 में हुई। पूर्व मंडी महासचिव राजकुमार भाटिया बताते हैं कि ये एकदम समाजिक प्रयास है। इन्होंने बताया कि एक दिन उनके पास एक भीख मांगने के लिए शख्स आया और जब उन्होंने उसको पैसे देने चाहे तो उस भिखारी ने पैसे से लेने से मना कर दिया। उसने कहा साहब अगर कुछ खिला कर भूखे का पेट भर देते तो ज्यादा अच्छा होता। 

भाटिया जी ने बताया, ''जब मैं उस शख्स को खाने खाते देख रहा था तो उसकी आंखों में एक अजब ही चमक थी। उसको देख कर मुझे एहसास हुआ है कि ना जाने उसके जैसे कितने लोग भूख को मिटाने के लिए चोरी और भीख मांगने का काम करते हैं। उसी दिन उन्होंने सोचा कि जितनी परेशानी पैसे देने में नहीं होती उससे कहीं ज्यादा रोटी खिलाने में होती है। गरीबों को पैसे देकर उन्हें भिखारी तो आसानी से बनाया जा सकता है मगर पेट में रोटी देकर काम करने का जज्बा जगाना काफी मुश्किल है।''

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भाटिया जी आगे बताते हैं, ''उसी दिन के बाद से मैंने इसकी आधारशिला रखने की ठान ली। मैंने अपने मंडी के ही कुछ दोस्तों से बात की और फिर 23 जून 2015 को इस काम की शुरुआत की।''

भाटिया जी ने बताया कि उन्होंने इस काम की शुरुआत तीन लोगों के साथ मिलकर की। जिसमें सुधीर बहरानी और सोनिक सिदान भी शामिल थे। इन लोगों ने शुरुआती दौर में अपने घर से ही तीन रोटी और उसमें सूखी सब्जी और आचार रख कर कुछ कचरा बिनने वाले बच्चों को देना शुरू किया। बाद मे इन्होंने इसके साथ कई लोगों को जोड़ा और ये आजदपूर के इलाके में भूखे और बेसहारा लोगों को रोटी खिलाने का काम करते हैं। 

कैसे काम करता है रोटी बैंक

भाटिया जी के मुताबिक, शुरुआत में थोड़ी मुश्किल जरूर आई मगर इच्छाशक्ती मजबूत हो तो कुछ भी असम्भव नहीं होता। रोटी बैंक में तकरीबन 700 लोग हैं जो ना सिर्फ सुबह ताजी रोटी बैंक में जमा करते हैं बल्कि  उन्हें जरूरतमन्द तक पहुंचाते भी हैं।

इस संस्था से जुड़े सहयोगी के घर से तीन रोटी, आचाय या सूखी सब्जी के साथ सिल्वर फॉयल में लपेटकर रोक बैंक को दे जाता है। भाटिया जी के मुताबिक इस काम के शरुआती दिन सात पैकेट मिले थे। पिछले चार सालों में तकरीबन दो लाख रोटी पैकेट संस्था के माध्यम से जरुरतमंदों तक पहुंचाए गए हैं। 

ये संस्था ज्यादातर रोटी वितरण कूड़ा बीनने वाले बच्चों, कुपोषित महिलाओं और निराश्रित बुजुर्गों में किया जाता है। इस संस्था को सबसे ज्यादा साथ सामाजिक एक संगठनों, RWAS और मार्डर पब्लिख स्कूल, शालीमार बाग से मिलता है। रोटी बैंक ने अपने कलेक्शन सेंटर जगह जगह खोल रखे हैं,  जहां लोग अपनी मर्जी के मुताबिक रोटियां जमा करवा सकते हैं। रोहिणी पुरू अपार्टमेंट, पटपड़ गंज कानूनगो अपार्टमेंट, मॉडल पब्लिक स्कूल शालीमार बाग उत्तम नगर आदि में है। इसकी आज 30 शाखाएं हैं। 

रोटी बैंक के हैं कुछ उसूल 

-भाटिया जी बताते हैं कि रोटी बैंक के कुछ उसूल भी हैं, जैसे एक पैकेट में तीन रोटी, आचार या सूखी सब्जी फॉयल पेपर में पैक करना जिससे किसी को यह ना लगे कि भेदभाव किया जा रहा है और सबसे खास बात यह कि रोटी बैंक नशेड़ियों को खाना नहीं देता। 

- इसके साथ ही सहयोगियों से केवल ताजी रोटी का ही सहयोग लेते हैं। बची हुई या बासी रोटी नहीं ली जाती है। 

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पीएम मोदी भी कर चुके हैं मन की बात में इस कदम की सराहना 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31वां मन की बात में  दिल्ली के इस रोटी बैंक का जिक्र किया था। पीएम मोदी ने इस काम की तारीफ करते हुए कहा था इस तरह यह रोटी बैंक गरीबों और जरुरतमंदों की भूख कम कर रहा है। बता दें कि अभी तक सरकार या किसी वित्तीय अनुदान से परहेज कर रहे हैं।

 

इनका मिशन

इस संस्था की सोच है, ''यह सहयोग जन आंदोलन बन देशभर में फैलें, कार्य का विस्तार हो एवं हमारे मिशन को भी बल मिले ताकि कोई भूखा ना रहे।'' 

अंत में इस संस्था का पूरा भाव इस कविता से समझे और इस संस्था को सहयोग को आप भी सहयोग करें। इस संस्था के संचालकों का नीचे नाम और नंबर दिया गया है। 

'' रोटी बैंक एक प्रयोग है, एक साधना है, एक प्रयास है, बढ़ रही सामाजिक गैर जिम्मेदारी को कम करने का।    

रोटी बैंक संघर्ष है भूख के विरुद्ध, रोटी बैंक एक महायज्ञ है, सेवा का, पुण्य का, धर्म और मानवता का।

रोटी बैंक एक बैंक है, जहां पैसा नहीं, जमा होती हैं रोटियां और जिसके बदले में मिलता है पुण्य, आशीर्वाद, दुआ, प्यार और ढेर सारा सुकून। 

रोटी बैंक एक कोशिश है, साधन-सम्पन्न लोगों को प्रेरित करने की कि वह अपनी रोटी के साथ कुछ रोटी जरुरतमंदों के लिए भी बनवाए और उसे रोटी बैंक में जमा करवाएं...''

राजकुमार भाटिया- 9899441801

अश्विनी चावला- 9818504849

 सुधीर बहरानी-9811905052

सोनिक सिदान-9310144541

मेल आईडी- rotibank1@gmail.com

फेसबुक- roti bank  

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