#KuchhPositiveKarteHain: तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली आतिया, जिसकी हिम्मत से आया नया कानून

By पल्लवी कुमारी | Published: July 21, 2018 11:44 AM2018-07-21T11:44:15+5:302018-07-21T11:44:15+5:30

तीन तलाक मामले की याचिकाकर्ता अतिया साबरी कहती हैं, ''सवाल सिर्फ एक अतिया का नहीं है। देश भर में लाखों मुस्लिम महिलाओं का है, जो आय दिन तीन तलाक का जहर पी रही हैं।'' 

UP saharanpur Atiya Sabri women who Filed first Petition in supreme court against triple talaq | #KuchhPositiveKarteHain: तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली आतिया, जिसकी हिम्मत से आया नया कानून

#KuchhPositiveKarteHain: तीन तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली आतिया, जिसकी हिम्मत से आया नया कानून

नई दिल्ली, 21 जुलाई:  तलाक ए बिद्दत जिसे बोल-चाल की भाषा में तीन तलाक या ट्रिपल तलाक बोला जाता है। इसके तहत जब एक मुस्लिम शख्स अपनी बेगम को एक बार में तीन तलाक बोल देता है, चाहे वह फोन, मैसेज या खत के जरिए हो, तलाक कबूल हो जाता है। इसके बाद इसे निरस्त नहीं किया जा सकता। ये इस्लामी तलाक का एक रूप है, जिसे भारत में मुसलमानों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। 

भारत में पहले तीन तलाक कानूनी था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के अगस्त 2017 के फैसले के बाद देश में यह गैरकानूनी है। लेकिन क्या आपको पता है कि सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ, जिस मुस्लिम महिला ने सबसे पहले याचिका दायर की थी, उसका तीन तलाक से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर बिल्कुल आसान नहीं था। हम बात कर रहे हैं, मोहल्ला आली, तेलीवाला चौक सहारनपुर निवासी अतिया साबरी की।

आतिया मुस्लिम महिलाओं के लिए किसी 'सुपरविमन' से कम नहीं हैं। पाकिस्तान समते विश्व के 22 मुसलमान देशों में ट्रिपल तलाक पर बैन था लेकिन अपने देश भारत में ना जाने इस तीन तालक की मार मुस्लिम महिलाएं कब से झेलती आ रहीं थी, लेकिन किसी ने वो हिम्मत नहीं दिखाई, जो आतिया साबरी ने दिखाई। अगर आतिया भी बाकी तीन तलाक पीड़िता जैसी महिलाओं की तरह अपना दुख पीकर रह जाती तो शायद देश में नया कानून आने की बात ना हुई होती। आतिया की इस हिम्मत और हौसले की वजह से आज देश की मुस्लिम औरतें तीन तलाक के खिलाफ कानून का सहारा ले सकती हैं। 

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लोकमत न्यूज हिंदी के स्वतंत्रा दिवस के कैम्पेन #KuchhPositiveKarteHain में आतिया के हौसले को सलाम करता है । आइए जानते हैं आतिया के तीन तलाक से सुप्रीम कोर्ट तक सफर के बारे में...

आतिया साबरी पुत्री मजहर हसन मोहल्ला आली, तेलीवाला चौक सहारनपुर की निवासी हैं। जहां दारुल उलूम देवबंद की वजह से इस्लामिक मान्यतों का सख्ती से पालन किया जाता है। आतिया का 25 मार्च 2012 को हरिद्वार के जसोधरपुर गांव निवासी वाजिद अली पुत्र सईद अहमद से हुआ था। शादी के बाद आतिया की जिंदगी आम महिला की तरह ही गुजर रही थी। शादी के पौने दो साल के भीतर आतिया ने दो प्यारी बच्चियों को जन्म दिया। 

जहर देकर मारने की गई कोशिश

एक बाद एक बेटी होने की बात से खफा होकर ससुरालियों ने उस पर चरित्र खराब होने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं 13 नवंबर 15 को उसे जहर खिलाकर मारने का प्रयास भी किया। जिसके बाद उसे घर से निकाल दिया। साल 2016 में आतिया के पति ने कागज पर तीन तलाक लिखकर आतिया से अपना निकाह खत्न कर लिया। आतिया के ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे। 

दूसरी बेटी सना को गर्भ में ही मारना चाहता था पति 

अतिया के मुताबिक, पति और ससुर उसकी दूसरी बेटी सना को गर्भ में ही मार देना  चाहते थे। अतिया के ससुर सईद अहमद समाजवादी पार्टी के नेता भी हैं। अतिया का कहना था कि दारुल उलूम ने भी तलाक को वैध बताने से पहले उसका पक्ष नहीं जाना और न ही सहमति ली गई। देखा जाए तो इस्लाम में भी नियमानुसार बिना सहमति तलाक नहीं दिया जा सकता।

दारुल उलूम देवबंद ने नहीं सुना आतिया का पक्ष

अतिया साबरी के मुताबिक, दारुल उलूम देवबंद के तीन उलेमाओं ने भी तलाक को वैध बताने से पहले उसका पक्ष तक जानने की कोशिश नहीं की। ऐसे में पूरी तलाक प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए इसके खिलाफ आतिया ने 8 जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अदालत में याचिका दायर की।  23 जनवरी को चीफ जस्टिस ने याचिका संख्या 43/2017 स्वीकार करते हुए सुनवाई की तारीख 15 फरवरी लगाई। 

 सुप्रीम कोर्ट ने बाल कल्याण एवं विकास मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और अल्पसंख्यक मंत्रालय के सचिवों, दारुल उलूम देवबंद और पीड़िता के पति वाजिद अली को नोटिस जारी करते हुए अपना-अपना पक्ष रखने के लिए कहा।  

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आतिया के खिलाफ फर्जी अकाउंट बनाकर रची गई साजिश 

सुप्रीम कोर्ट में याचिक की स्वीकार होने के बाद फर्जी बैंक अकाउंट बनवाकर, उसके ससुराल वालों ने उसे फंसाने की साजिश रची। आतिय के नाम फर्जी बैंक एकाउंट खोलकर चेक जारी किए गए। साल 2017 के शुरुआती महीनों में आतिया के खिलाफ  पंजाब नेशनल बैंक निरंजनपुर में उसके नाम का फर्जी खाता खोलकर चेकबुक ली गई। जिसके बाद उसे अफजाल, शरीफ और समीर नाम के शख्स में 4 और 2 लाख का चेक जारी किया गया। चेर बाउंस होने पर आतिया को नोटिस मिला तो उसे साजिश के बारे में पता चला। 

आरोपियों को भिजवाया जेल 

फर्जी चेक के मामले के बाद आतिया ने  पति वाजिद, ससुर सईद, सास मेहराज व बैंक के शाखा प्रबंधक विनोद के अलावा चेक लेने वाले अफजाल, शरीफ व समीर के खिलाफ लक्सर कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई। जिसके बाद चेक लेने वाले सारे आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। अतिया साबरी के ससुर और पति को दहेज उत्पीड़न के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सहारनपुर की एक कोर्ट ने दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए थे। अतिया ने अपने पति, ससुर, सास और ननद के खिलाफ सहारनपुर की एक अदालत में दहेज उत्पीड़न का मुकदमा भी दायर कराया था। 1 मार्च 2017 को कोर्ट ने चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के वारंट जारी किए थे। वारंट के आधार पर लक्सर पुलिस अतिया के पति और ससुर को गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल भेज दिया था। 

पीएम मोदी को भी लिखा पत्र

आतिया ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर उनके चुनावी वादों को याद दिलवाया। आतिया ने लिखा,  पीएम मोदी ने तीन तलाक को गलत बताकर इसके खिलाफ कानून बनाने की चुनाव के पहले मंशा जताई थी। उनकी इसी के पक्ष में शिक्षित मुस्लिम महिलाओं ने इस बार बीजेपी को समर्थन दिया। इन चुनावों की सफलता के बाद अब उन्हें मोदी की तरफ से वादा पूरा होने की उम्मीद है। आतिया ने पत्र में पीएम मोदी से तीन तलाक के खिलाफ संसद में सख्त से सख्त सजा दिलवाने की मांग की। तीन तलाक मामले की याचिकाकर्ता अतिया साबरी कहती हैं कि सवाल सिर्फ एक अतिया का नहीं है। देश भर में लाखों मुस्लिम महिलाओं का है, जो आय दिन तीन तलाक का जहर पी रही हैं। 

सुप्रीम कोर्ट का आया ऐतिहासिक फैसला

22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बहुमत के निर्णय में मुस्लिम समाज में एक बार में तीन बार तलाक देने की प्रथा को निरस्त करते हुए अपनी व्यवस्था में इसे असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य करार दिया। कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक की यह प्रथा कुरान के मूल सिद्धांत के खिलाफ है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से देश में त्वरित ट्रिपल तलाक के 100 मामलों के बाद मोदी सरकार ने बिल तैयार किए।  28 दिसंबर 2017 को, लोकसभा ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक, 2017 को पारित कर दिया। इस बिल के मुताबिक किसी भी रूप में तत्काल ट्रिपल तलाक (तलाक़-ए-बिदाह) लिखता है - लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप को अवैध और शून्य के रूप में दिया जाएगा तो पति के लिए तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया। आतिया के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के खिलाफ तराखंड की शायरा बानो नामक महिला ने भी याचिका दायर की। जिसको स्वीकार भी किया गया था। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्यो बोलीं आतिया

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आतिया ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जो आज भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवहेलना कर तीन तलाक दे रहे हैं। आतिया ने कहा था, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही से लागू करने के लिए सख्त कानून की जरूरत है। 

आतिया ने कहा था ''अब कोई एक झटके में तीन तलाक देता है या फिर, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को मानने से इंकार करता है तो ऐसे में मर्दों को कम से कम दस साल कारावास का प्रावधान होना चाहिए ताकि देश में बगैर पति-पत्नी की सहमति के एक भी तलाक ना हो पाए। आतिय फिलहाल अपनी दोनों बेटियों के साथ खुशहाल जीवन बिता रही हैं। 

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Web Title: UP saharanpur Atiya Sabri women who Filed first Petition in supreme court against triple talaq

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