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राजद नेता तेजस्वी यादव ने कुमार सर्वजीत को बनाया बिहार विधानसभा में मुख्य विरोधी दल का मुख्य सचेतक

By एस पी सिन्हा | Updated: November 30, 2025 17:01 IST

करारी हार के बाद पहली बार कल तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आमने सामने होंगे। बीते दिन महागठबंधन की हुई बैठक में सभी दलों ने सहमति से तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। वहीं अब तेजस्वी यादव ने राजद विधायक को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। 

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पटना: बिहार में नई सरकार की गठन होने के बाद एक दिसंबर से 18वीं बिहार विधानसभा सत्र की कार्यवाही शुरु होने वाली है। सदन की कार्यवाही 1 से 5 दिसंबर कर चलेगी। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी सदन में मौजूद रहेंगे। करारी हार के बाद पहली बार कल तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आमने सामने होंगे। बीते दिन महागठबंधन की हुई बैठक में सभी दलों ने सहमति से तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। वहीं अब तेजस्वी यादव ने राजद विधायक को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। 

जानकारी अनुसार तेजस्वी यादव ने बोधगया निर्वाचन क्षेत्र 229 से नव निर्वाचित राजद विधायक कुमार सर्वजीत को बिहार विधानसभा में मुख्य विरोधी दल का मुख्य सचेतक नियुक्ति किया है। तेजस्वी यादव ने 29 नवंबर 2025 से इस नियुक्ति को प्रभावी करने का आदेश जारी किया। इस संबंध में जारी पत्र को संबंधित विभागों और अधिकारियों को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है। मुख्य विपक्षी सचेतक वह व्यक्ति होता है, जो विधानसभा में विपक्षी दल के अनुशासन, उपस्थिति, रणनीति और कार्यप्रणाली को संभालने वाला सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी है। 

बता दें कि सदन के पहले दिन सभी नव निर्वाचित 243 सदस्य विधायक पद की शपथ लेंगे। मुख्य विपक्षी सचेतक की 5 बड़ी जिम्मेदारियां हैं, जिसमें 1. विपक्ष के विधायक सही समय पर सदन में मौजूद रहें। महत्वपूर्ण बहस, बिल, प्रस्ताव या मतदान के दौरान विपक्ष के सभी विधायकों की उपस्थिति सुनिश्चित करना। 2. विपक्षी विधायकों को दिशा-निर्देश देना। किस मुद्दे पर कैसे बोलना है, किसके बोलने का क्रम क्या होगा, किस बिल के पक्ष या विपक्ष में खड़ा होना है, इसकी जानकारी देना। 3. पार्टी लाइन का पालन करवाना। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी दल की नीतियों और तय रुख के अनुसार विधायकों का आचरण सुनिश्चित करना। 4. सरकार के खिलाफ रणनीति बनाना। 

मसलन सदन में सरकार को घेरने, सवाल उठाने और विपक्ष की एकजुटता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना। 5. सदन और पार्टी नेतृत्व के बीच समन्वय स्थापित करना। विपक्ष के नेता और विधायकों के बीच संवाद बनाए रखना तथा आवश्यक जानकारी समय पर पहुंचाना भी शामिल है।

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