नयी दिल्ली, 21 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यातायात उल्लंघनों की निगरानी और प्रभावी कामकाज सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के उन्नयन की मांग वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार का रुख पूछा है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने वकील सोनाली करवासरा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का समय दिया।
अदालत ने आठ दिसंबर के अपने आदेश में कहा, “सुविज्ञ वकील (प्रतिवादियों के लिए) जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए समय चाहते हैं। प्रार्थना के अनुसार समय दिया जाता है। सुनवाई की अगली तारीख से पहले जवाबी हलफनामा दायर किया जाए।”
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उल्लंघन का पता लगाने के लिए अधिकारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली अप्रचलित और पुरानी प्रौद्योगिकी के कारण यातायात नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन में कई खामियां हैं।
याचिका में कहा गया, “इस्तेमाल की जाने वाली प्रौद्योगिकी को मानकीकृत नहीं किया गया है और इसके कारण कई उदाहरण सामने आए हैं, जिसमें ट्रैफिक पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए गए दोषपूर्ण उपकरण और प्रौद्योगिकी के कारण निर्दोषों पर भारी जुर्माना लगाया गया है। गति सीमा उल्लंघन का पता लगाने वाली प्रौद्योगिकी, शराब के नशे का पता लगाने के लिये सांस की जांच करने वाली प्रौद्योगिकी और रेड लाइट उल्लंघन का पता लगाने वाली प्रौद्योगिकी बदलते समय के अनुरूप नहीं हैं।”
याचिका में कहा गया है कि प्रौद्योगिकी त्रुटियों के कारण यहां यातायात विभाग द्वारा 2019 में निर्धारित सीमा से अधिक गति के लिए जारी किए गए 1.57 लाख से अधिक चालानों को वापस लिया गया था।
इस मामले में अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।