बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में पठन-पाठन का माध्यम क्षेत्रीय भाषाएं होंगी- शिक्षा मंत्री

By भाषा | Updated: March 3, 2021 22:23 IST2021-03-03T22:23:26+5:302021-03-03T22:23:26+5:30

Regional languages will be the medium of reading in primary schools of Bihar - Education Minister | बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में पठन-पाठन का माध्यम क्षेत्रीय भाषाएं होंगी- शिक्षा मंत्री

बिहार के प्राथमिक विद्यालयों में पठन-पाठन का माध्यम क्षेत्रीय भाषाएं होंगी- शिक्षा मंत्री

पटना, तीन मार्च बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बुधवार को विधानसभा को बताया कि आने वाले समय में प्राथमिक स्कूलों में पठन-पाठन का माध्यम क्षेत्रीय भाषाओं यथा भोजपुरी, मगही, मैथिली आदि होगा।

बिहार विधानसभा में 2021-22 के वित्तीय वर्ष के लिए शिक्षा विभाग के 38,035.92 करोड़ रुपये की बजटीय मांग पर चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए चौधरी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि पठन-पाठन का माध्यम क्षेत्रीय भाषाओं यथा भोजपुरी, मगही, मैथिली आदि होगा। हम छात्रों को उनकी भाषाओं में पढ़ाएंगे।’’

उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा के माध्यम के रूप में क्षेत्रीय भाषा को अपनाने के पीछे का विचार छात्रों को उनकी अपनी मातृ भाषा में शिक्षा देना है ताकि वे चीजों को बेहतर समझ सकें। छात्र किसी भी अन्य भाषा की तुलना में अपनी भाषा में विषयों को बेहतर समझ सकते हैं।

चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करने और प्रसिद्ध कवि फणीश्वर नाथ रेणु (जिनकी जन्मशती वर्ष 4 मार्च को है) को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि महात्मा गांधी ने गुजरात रियासत और अंग्रेजों के अत्याचारों के विरोध में तीन मार्च 1939 को भूख हड़ताल शुरू की थी जो कि सिर्फ तीन दिन में समाप्त हो गई थी। उन्होंने कहा कि इसी तरह रेणु ने अपनी कविताओं और अन्य लेखों को क्षेत्रीय भाषा में लिखा और यही कारण है कि उनके लेखन का लोगों पर इतना प्रभाव है।

भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम द्वारा उर्दू भाषा में शिक्षा प्रदान करने का मुद्दा उठाए जाने पर शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘उर्दू राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा है। मुझे नहीं पता कि आपको उर्दू के साथ समस्या क्यों है? क्या आप चाहते हैं कि यह उर्दू दूसरी भाषा से क्षेत्रीय भाषा में डाउनग्रेड हो।’’

चौधरी ने शिक्षा को राज्य सरकार का प्राथमिक एजेंडा बताते हुए कहा कहा कि सरकार ने शिक्षा के महत्व को मान्यता दी है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि सरकार ने 2021-22 के लिए राज्य के 2.18 लाख करोड़ रुपये बजट का 21.9 प्रतिशत 38,035.92 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

चौधरी ने कहा, ‘‘हमने बच्चों के लिए एक वातावरण बनाया है जहाँ वे अध्ययन कर सकते हैं। हम मध्याहन भोजन, पोशाक, साइकिल आदि दे रहे हैं लेकिन अब इसे सत्यापित करने और यह आकलन करने की जरूरत है कि बच्चों के शिक्षा प्राप्त करने में कोई प्रगति हुई या नहीं।’’

मंत्री ने शिक्षकों से भी अपना ध्यान शत-प्रतिशत पढ़ाने की ओर देने की अपील करते हुए आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं का ध्यान रखेगी।

कांग्रेस सदस्य विजय शंकर दुबे द्वारा लाए गए कटौती प्रस्ताव को खारिज करते हुए सदन ने शिक्षा विभाग की बजटीय मांग को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

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