कॉलेजियम सिस्टम को लेकर पूर्व CJI टीएस ठाकुर ने कहा, ‘जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सही तरीका’

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: November 13, 2022 13:43 IST2022-11-13T13:37:33+5:302022-11-13T13:43:48+5:30

पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने शनिवार को कहा है कि उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए स्थापित कॉलेजियम प्रणाली में सुधार किया जा सकता है और बिना किसी बेहतर विकल्प के इसकी आलोचना से हम किसी सार्थक निर्णय पर नहीं पहुंच सकते हैं।

Regarding the collegium system, former CJI TS Thakur said, 'Collegium is the right way to appoint judges' | कॉलेजियम सिस्टम को लेकर पूर्व CJI टीएस ठाकुर ने कहा, ‘जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सही तरीका’

फाइल फोटो

Highlightsपूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कॉलेजियम प्रणाली को सही बताते हुए पूछा बेहतर विकल्प क्या हैकॉलेजियम प्रणाली में सुधार किया जा सकता है लेकिन बेहतर विकल्प के बिना उसकी आलोचना गलत हैकानून मंत्री किरेन रिजिजू ने उठाये था सवाल, कहा था, जजों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जानी चाहिए

दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने शनिवार को कहा है कि उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति के लिए स्थापित कॉलेजियम प्रणाली में सुधार किया जा सकता है और बिना किसी बेहतर विकल्प के इसकी आलोचना से हम किसी सार्थक निर्णय पर नहीं पहुंच सकते हैं। पूर्व मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी कॉलेजियम प्रणाली की हो रही आलोचना के संबंध में था।

उन्होंने कहा, "हर दिन आप किसी को यह कहते हुए सुनेंगे कि कॉलेजियम प्रणाली सही प्रणाली नहीं है। कोई भी यह नहीं कह सकता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली सबसे उत्तम प्रणाली है, लेकिन इसका सही विकल्प यही है कि कॉलेजियम प्रणाली में सुधार किया जाए जैसा कि हाल में नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश ने ने कहा है।"

पूर्व मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने बीते शनिवार को यह टिप्पणी नये चीफ जस्टिस बने डीवाई चंद्रचूड़ के संबंध में किया, जिन्होंने 9 नवंबर को सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।

पूर्व सीजेआई ठाकुर ने दिल्ली में आयोजित एक समारोह में कॉलेजियम विवाद पर खुलकर बोलते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस कॉलेजियम व्यवस्था में सुधार के प्रयास के खिलाफ बहस कर सकता है। लेकिन इसे पूरी तरह से हाटने की मांग करना या विचार करना न्यायपालिका के उचित नहीं होगा।"

पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर दिसंबर 2015 से जनवरी 2017 तक देश की सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का चयन प्रकिया को कॉलेजियम व्यवस्था से हटाकर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के दायरे में लाने के लिए  किये गये संवैधानिक संशोधन को रद्द करने के बारे में सुप्रीम कोर्ट का उल्लेख किया।

जिस संवैधानिक संशोधन में संसद द्वारा लगभग सर्वसम्मति कानून पारित करके जजों की नियुक्ति के लिए वर्षों से चली आ रही कॉलेजियम प्रणाली को उलटने की मांग की गई थी।

पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने उस संवैधानिक संशोधन को परखा था लेकिन अदालत ने पाया था कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता कर रहा था। उन्होंने कहा,  "एक समुचित विकल्प के साथ आए बिना कॉलेजियम व्यवस्था की आलोचना करके हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते हैं। कई मुद्दे हैं, चाहे वह संघवाद हो या फिर देश के मौलिक अधिकारों या धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना हो। ऐसे मुद्दे केवल एक स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा ही संरक्षित किये जा सकते हैं। मुझे लगता है यही वह जगह है, जहां न्यायपालिका और मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका होती है।"

मालूम हो कि मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की नियुक्ति से पहले पिछले महीने ही केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि देश कॉलेजियम सिस्टम के जरिये सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की होने वाली खुश नहीं हैं और संविधान की भावना के मुताबिक जजों की नियुक्ति करने का अधिकार सरकार के कार्यक्षेत्र में आता है। सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम का नेतृत्व भारत के मुख्य न्यायाधीश करते हैं और इसमें न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।

Web Title: Regarding the collegium system, former CJI TS Thakur said, 'Collegium is the right way to appoint judges'

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