असोला अभयारण्य में 2015 के बाद पहली बार दुर्लभ धारीदार लकड़बग्घा देखा गया : अधिकारी

By भाषा | Published: December 7, 2021 11:12 AM2021-12-07T11:12:08+5:302021-12-07T11:12:08+5:30

Rare striped hyena spotted in Asola sanctuary for the first time since 2015: Officials | असोला अभयारण्य में 2015 के बाद पहली बार दुर्लभ धारीदार लकड़बग्घा देखा गया : अधिकारी

असोला अभयारण्य में 2015 के बाद पहली बार दुर्लभ धारीदार लकड़बग्घा देखा गया : अधिकारी

नयी दिल्ली, सात दिसंबर दिल्ली में लगभग सात वर्षों में पहली बार धारीदार लकड़बग्घा देखा गया है जिनकी दुनियाभर में आबादी 10,000 से भी कम है और इन्हें विलुप्त होने की कगार पर खड़ी प्रजातियों में गिना जाता है। वन और वन्यजीव विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में लगे कैमरों के फुटेज में इस जंगली पशु की मौजूदगी की पुष्टि हुई है।

उप वन संरक्षक (डीसीएफ), दक्षिण मंडल, अमित आनंद ने कहा, ‘‘यह पहली बार है जब किसी धारीदार लकड़बग्घे को दिल्ली में कैमरे में देखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में डेरा मंडी क्षेत्र में एक धारीदार लकड़बग्घे को आखिरी बार देखा गया था, जिसकी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।’’

असोला अभयारण्य में एक वन्यजीव संरक्षक ने कहा कि कर्मचारियों को 2017-18 में कुछ मौकों पर लकड़बग्धे के पैरों के निशान मिले थे। धारीदार लकड़बग्घा दिन का अधिकांश समय अपनी मांद में बिताता है। यह अकेले ही शिकार की ताक में रहता है और यह समूहों में बहुत कम दिखता है।

एमिटी यूनिवर्सिटी के वन्यजीव विशेषज्ञ प्रोफेसर रणदीप सिंह ने कहा, ‘‘यह शिकार का कोई अवशेष नहीं छोड़ता बल्कि यह पुराना सड़ा-गला मांस भी खा जाता है, इसी वजह से यह वन पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। असोला में धारीदार लकड़बग्घा की उपस्थिति असोला वन में सुधार का संकेत देती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि गुरुग्राम, फरीदाबाद और दिल्ली के अरावली वनक्षेत्र में कई मौकों पर इसके पदचिह्न देखे गए हैं। यह पहली बार हो सकता है जब इसे कैमरे में कैद किया गया हो, लेकिन मैं हैरान नहीं हूं।’’

आनंद ने कहा कि उन्हें आयानगर और डेरा मंडी गांव के पास धारीदार लकड़बग्घे की मौजूदगी की उम्मीद थी, लेकिन ‘‘हमने जितना सोचा था, यह उससे कहीं ज्यादा करीब हमें देवली में मिला।’’ उन्होंने कहा कि विभाग के कैमरों से मिली तस्वीरों में अभयारण्य में दो तेंदुओं एक शावक (नर) और एक वयस्क तेंदुए की उपस्थिति की पुष्टि हुई है। डीसीएफ ने कहा, ‘‘तेंदुआ इन दिनों सक्रिय हैं, और हमें लगता है कि उनके द्वारा किए गए शिकार से धारीदार लकड़बग्घा आकर्षित हुआ होगा।’’

‘इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर’ ने धारीदार लकड़बग्घे को ‘संकटग्रस्त’ प्रजातियों के रूप में चिह्नित किया है और उनकी वैश्विक आबादी 10,000 से कम होने का अनुमान है। इस साल की शुरुआत में वन और वन्यजीव विभाग ने पशुओं की गणना के लिए अभयारण्य में लगभग 20 कैमरे लगाए थे।

दिल्ली-हरियाणा सीमा पर अरावली पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी दिल्ली रिज पर 32.71 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करता वन्यजीव अभयारण्य दक्षिणी दिल्ली और हरियाणा के फरीदाबाद के उत्तरी भागों और गुरुग्राम जिलों में स्थित है। यह उत्तरी अरावली तेंदुआ वन्यजीव गलियारे का हिस्सा है, जो राजस्थान के सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान से दिल्ली रिज तक फैला हुआ है।

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Web Title: Rare striped hyena spotted in Asola sanctuary for the first time since 2015: Officials

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