दिल्ली से रिक्शे से पांच सौ किलोमीटर का सफर तय कर परिवार सहित गांव पहुंचा 'रामचरन'
By भाषा | Published: May 16, 2020 05:34 PM2020-05-16T17:34:43+5:302020-05-16T17:34:43+5:30
महोबा:कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण महानगरों में फंसे प्रवासी मजदूर पैदल, साइकिल या फिर अन्य साधनों से घर पहुंचने की जद्दोजहद अब भी कर रहे हैं। इन्हीं मजदूरों में से एक है उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के बरा गांव का दिहाड़ी मजदूर ‘रामचरन’ जो अपने परिवार के आठ सदस्यों को रिक्शे में बैठाकर दिल्ली से एक सप्ताह में पांच सौ किलोमीटर की दूरी तय करके शुक्रवार को अपने गांव पहुंचा है।
महोबा जिले के श्रीनगर थाना क्षेत्र के बरा गांव का 36 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर रामचरन अपनी पत्नी, छोटे भाई व उसकी पत्नी और पांच छोटे बच्चों के साथ सात माह पूर्व दिल्ली गया था। वहां सभी इमारत (भवन) निर्माण कार्य में बेलदारी और दिहाड़ी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते थे, लेकिन 25 मार्च को लॉकडाउन के बाद से सभी वहां फंस गए थे। रामचरन बताता है कि "कुछ दिन तक तो उधार राशन लेकर काम चलता रहा, लेकिन इसके बाद दुकानदार ने भी उधार राशन देना भी बंद कर दिया। जिससे बच्चों तक को तीन दिन तक भूखा सोना पड़ा था।"
उन्होंने बताया, "कोई विकल्प न होने पर उसने अपनी पत्नी और भाई की पत्नी की चांदी की पायलें और कुछ अन्य जेवर बेचकर ट्रॉलीदार रिक्शा खरीदा और उसी में कुछ गृहस्थी का सामान लाद परिवार के सभी आठ लोगों को बैठाकर नौ मई को तड़के तीन बजे दिल्ली से घर के लिए चल दिया था।" वह बताता है कि "दोनों भाई बारी-बारी से रिक्शा खींचते हुये सातवें दिन शुक्रवार की अपने गांव आ पाए हैं।"
रामचरन बताता कि "इस पांच सौ किलोमीटर के सफर में कुछ अच्छे इंसान मिले तो कई शैतान भी मिले हैं। किसी ने दया कर बच्चों को खाना और बिस्किट दिया तो कई पुलिसकर्मियों ने अपमानित भी किया। पर, करते क्या? घर तो पहुंचना ही था। बस, कैसे भी हो, अपने घर आ गए हैं। अब यहीं रहेंगे, सपने में भी परदेस नहीं जायेंगे।"
वह कहते हैं, "सात दिन पुराना यह रिक्शा मेरे और मेरे परिवार के लिए सब कुछ है, अब इस रिक्शे को सहेज कर रखूंगा। अगर यह रिक्शा न होता तो मेरा परिवार दिल्ली से घर न पहुंच पाता।" स्वास्थ्य अधिकारियों की जांच के बाद रामचरन और उसके परिवार को पृथक-वास में रखा गया है।