पासवान का दावा- जनरल कोटे में आरक्षण से 10% बढ़ेगा NDA का वोट शेयर, मोदी के तरकश में अभी कई और तीर
By भाषा | Published: January 20, 2019 05:29 PM2019-01-20T17:29:35+5:302019-01-20T17:29:35+5:30
2014 में भाजपा के साथ हाथ मिलने से पहले पासवान कांग्रेस के सहयोगी थे और वह 1989 से जनता दल, कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व वाली कई सरकारों में रहे है।
केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने दावा किया है कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के वास्ते 10 प्रतिशत आरक्षण के कदम से बीजेपी के नेतृत्व वाली राजग सरकार का वोट प्रतिशत 10 प्रतिशत तक बढ़ेगा जिससे नरेन्द्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।
पासवान ने कहा कि लोग विपक्ष के प्रस्तावित महागठबंधन को उसके अंतर्निहित अंतर्विरोध और अस्थिरता के कारण खारिज कर देंगे। भाजपा के सहयोगी और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पासवान ने कहा कि 'लोकलुभावन' कार्यक्रमों पर दीर्घकालिक विकास नीतियों को मोदी सरकार द्वारा प्राथमिकता दिये जाने से कई बार समाज के एक वर्ग में नाराजगी हो सकती है लेकिन लोग अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के 'मजबूत और स्थिर' नेतृत्व के लिए वोट करेंगे।
'तीन राज्यों में हार से एनडीए को मिला सबक'
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने हाल में राज्य चुनावों में हुई हार से सबक सीखा है और प्रधानमंत्री मोदी के तरकश में कई तीर हैं। भाजपा ने हाल में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में सत्ता गंवा दी।
पासवान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक साक्षात्कार में कहा, 'चुनावों के लिए कुछ ही महीने बचे हैं। सरकार एक के बाद एक तीर चलाएगी। लोगों के दिमाग में सबसे ज्यादा यह चल रहा होगा कि प्रधानमंत्री के रूप में विपक्ष की पसंद कौन होगा। अगली सरकार स्थिर होगी या अस्थायी। लोग कमजोर, अस्थिर सरकार के बजाय मजबूत और स्थिर सरकार को प्राथमिकता देंगे जिससे मोदी की जीत होगी।'
उन्होंने कहा, 'मैं आपको बता दूं। यह 10 प्रतिशत कोटा हमारे वोट शेयर में 10 प्रतिशत की वृद्धि करेगा।'
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का विरोध किये जाने के बाद बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को अपना खाता खोलने में मुश्किल होगी। उन्होंने दावा किया कि राजग उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 70 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करके अपने 2014 के करिश्मे को दोहरायेगा।
वर्ष 2014 में लोकसभा की 543 सीटों में से राजग ने 336 सीटों पर जीत दर्ज की थी और भाजपा ने 282 सीटों पर जीत दर्ज करके अपने बलबूते बहुमत हासिल कर लिया था। पासवान की पार्टी ने छह सीटों पर जीत दर्ज की थी।
लगभग सभी राज्यों में एक महत्वपूर्ण वोट बैंक की भूमिका में रहे दलितों के बीच संभावित मतदान प्रवृत्ति के बारे में पूछे जाने पर पासवान ने कहा कि प्रधानमंत्री को उनके लिए काम किये जाने के रूप में देखा जाता है और यह सत्तारूढ़ गठबंधन की मदद करेगा।
पासवान ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि दलित अब यह जानते हैं कि मोदी दलित विरोधी नहीं हैं जैसा उन्हें पेश किया जा रहा था। उन्होंने उनके खिलाफ अत्याचार पर कानून को मजबूत किया और भीमराव अंबेडकर की विरासत को दिखाने के लिए बहुत कुछ किया है। उनमें से अधिकांश चुनाव के दौरान उनका समर्थन करेंगे।'
विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए बिहार के नेता ने कहा कि यह विरोधाभासों से भरा हुआ है और कई क्षेत्रीय पार्टियों ने कांग्रेस से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर अपना रूख स्पष्ट नहीं किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा विरोधी खेमे में केवल कांग्रेस ही एक वास्तविक राष्ट्रीय पार्टी है।
पासवान ने कहा कि अन्य पार्टियों द्वारा चलाई जाने वाली सरकारों को 'अस्थिर' करने का कांग्रेस का इतिहास रहा है और उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों एच डी देवगौड़ा, आई. के. गुजराल, चन्द्रशेखर और वी. पी. सिंह के संक्षिप्त कार्यकालों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'विपक्षी पार्टियों की कोई भी सरकार कमजोर और अस्थायी होगी।'
2014 में भाजपा के साथ हाथ मिलने से पहले पासवान कांग्रेस के सहयोगी थे और वह 1989 से जनता दल, कांग्रेस और भाजपा के नेतृत्व वाली कई सरकारों में रहे है।
पासवान ने कहा कि मोदी सरकार ने आवास, शौचालय, बिजली, बैंक खाते और गरीबों को रिण सुविधाएं उपलब्ध करा कर दीर्घकालीन विकास योजनाओं पर ध्यान केन्द्रित किया है। अल्पसंख्यकों विशेष कर मुसलमानों के बीच सरकार की धारणा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कुछ भाजपा नेताओं द्वारा कई बार विवादित टिप्पणियां 'नकारात्मक संदेश' देती हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मोदी सरकार ने समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया है।
'राम मंदिर मामला सहमति या न्यायित आदेश से सुलझाया जाए'
पासवान ने राम मंदिर मुद्दे पर अपने रूख को भी दोहराया और कहा कि मामले को या तो न्यायिक आदेश के जरिये या फिर मामले में शामिल विभिन्न पक्षों के बीच सहमति के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए।
लोजपा अध्यक्ष ने घोषणा की कि वह आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा उन्हें राज्यसभा में भेजे जाने की तैयारी है। पासवान की पार्टी बिहार की 40 सीटों में से छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी।