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Ayodhya Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकारों को लिखित नोट में रिकॉर्ड रखने की अनुमति दी, हिंदू पक्षकारों ने आपत्ति जताई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 21, 2019 12:04 IST

हिंदू पक्षकारों और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने मुस्लिम पक्षकारों द्वारा सीलबंद लिफाफे में अपने लिखित नोट दायर कराने पर आपत्ति जताई है।

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ठळक मुद्देमुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि कोर्ट फैसला सुनाते वक्त यह ध्यान रखें कि आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित होंगी। सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मुस्लिम पक्षकारों को अपने लिखित नोट उसके रिकॉर्ड में रखने की अनुमति दी। हिंदू पक्षकारों और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने मुस्लिम पक्षकारों द्वारा सीलबंद लिफाफे में अपने लिखित नोट दायर कराने पर आपत्ति जताई है।

मुस्लिम पक्षकारों का सुप्रीम कोर्ट से अपील, कहा- फैसला सुनाते वक्त रखें ध्यान

मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि कोर्ट फैसला सुनाते वक्त यह ध्यान रखें कि आने वाली पीढ़ियां भी प्रभावित होंगी।  मालूम हो कि सुनवाई के ठीक बाद मध्यस्थता समिति ने सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के बीच ‘‘एक तरह का समझौता’’ है। 

वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के समर्थन में हैं। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि राम जन्मभूमि न्यास, रामलला और 6 अन्य मुस्लिम पक्ष जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है वो इसका समझौता का हिस्सा नहीं है। समझौता प्रमुख रूप से सुन्नी वक्फ बोर्ड पर केंद्रित है।

कहा जा रहा है कि विवादित स्थल पर केंद्र सरकार के अधिगृहण को बाबरी मस्जिद ने मंजूरी दे दी है। इस सहमति के बदले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सोशल हॉर्मनी के लिए एक इंस्टीट्यूशन, एएसआई संरक्षित मस्जिदों को नमाज के लिए दोबारा खोलना और अयोध्या की टूटी-फूटी मस्जिदों की मरम्मद कराए जाने की मांग रखी है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि इस समझौते तक पहुंचने के लिए दिल्ली और चेन्नई में कई मीटिंग के दौर से गुजरना पड़ा है।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को 'मुकम्मल इंसाफ' की उम्मीद

उत्‍तर प्रदेश सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड ने उच्‍चतम न्‍यायालय से ‘मुकम्‍मल इंसाफ’ की उम्‍मीद करते हुए कहा है कि उसने अयोध्‍या मामले में गठित मध्‍यस्‍थता पैनल के सामने जो भी प्रस्‍ताव दिया है, वह मुल्‍क के भले के लिये है और हिन्‍दुस्‍तान के तमाम अमन पसंद लोगों की इसमें रजामंदी होगी।

बोर्ड के अध्‍यक्ष जुफर फारूकी ने रविवार को ‘भाषा’ से विशेष बातचीत में कहा कि बोर्ड ने अपने तमाम सदस्‍यों के साथ विचार-विमर्श करके मध्‍यस्‍थता पैनल के सामने प्रस्‍ताव रखा था। अयोध्‍या का मसला बेहद संवेदनशील है और उससे जुड़े अहम पक्षकारों का रुख मुल्‍क के भविष्‍य पर असर डाल सकता है। लिहाजा इसे इंतहाई सलीके से सम्‍भालना होगा। हमें यकीन है कि उच्‍चतम न्‍यायालय इस मामले पर ‘मुकम्‍मल इंसाफ’ करेगा।

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