राज्यसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में राजनीति गरमाई: भाजपा ने की विधायकों की बाडे़बंदी, बसपा विधायकों को 'कांग्रेसी' बताने पर मचा बवाल
By धीरेंद्र जैन | Published: June 17, 2020 08:45 PM2020-06-17T20:45:53+5:302020-06-17T20:51:38+5:30
चुनाव आयोग ने रिटर्निंग अधिकारी विधानसभा सचिव व मुख्य निर्वाचन अधिकारी से इस संबंध में जवाब तलब किया है। शिकायत में बसपा से जीमते विधायकों को बसपा में ही दिखाकर मतदान कराने, इस प्रक्रिया में समय लगने पर चुनाव स्थगित कराने की मांग की गई है।
जयपुर: राजस्थान में राज्यसभा चुनाव को लेकर राजनीति और अधिक गरमा गई है और सत्ताधारी कांग्रेस के बाद अब भाजपा ने भी प्रशिक्षण के नाम पर अपने विधायकों की बाडेबंदी कर दी है। भाजपा विधायक राज्यसभा चुनाव के दिन तक होटल में ही रहेंगे। इस दौरान उन्हें राज्यसभा चुनाव में मतदान संबंधी प्रक्रिया की जानकारी एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर बसपा से चुनाव जीते विधायकों को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस में दिखाने को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज की गई है।
भाजपा विधायकों को होटल में शिफ्ट किये जाने से पूर्व भाजपा मुख्यालय पर विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में पर्यवेक्षक मुरलीधर राव और राजेन्द्र राठौड ने संबोधित किया। राठौड ने कहा कि कांग्रेस अपने विधायको कीे 30-30 हजार रुपये प्रतिदिन के कमरों में ठहराक कर आमोद प्रमोद करा रही है और डांस दिखा रही है। वहीं भाजपा तीन हजार प्रतिदिन के कमरो में विधायकों को रखती है और वहां आमोद प्रमोद नहीं बल्कि योग, प्राणायाम और प्रशिक्षण के साथ ही आत्मनिर्भर भारत सरीखे विषय पर मंथन किया जाएगा। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित विधायकों को बसों द्वारा होटल में भेजा गया। वहीं प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया निजी वाहन से सीधे होटल पहुंचे।
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने राजेन्द्र राठौड को अपराधबोध से ग्रसित बताते हुए कहा कि आजकल सतीश पूनिया उनकी देखरेख में है। इस पर राठौड़ ने कोई टिप्पणी देने से मना करते हुए कहा कि रघु शर्मा मेरे मित्र हैं, उनके बयान पर टिप्पणी नहीं करूंगा। यह अवश्य है कि वे अक्सर गुस्से में रहते हैं।
वहीं चुनाव आयोग ने रिटर्निंग अधिकारी विधानसभा सचिव व मुख्य निर्वाचन अधिकारी से इस संबंध में जवाब तलब किया है। शिकायत में बसपा से जीमते विधायकों को बसपा में ही दिखाकर मतदान कराने, इस प्रक्रिया में समय लगने पर चुनाव स्थगित कराने की मांग की गई है। शिकायत में कहा गया है कि बसपा विधायकों ने 16 सितंबर 2019 को कांग्रेस की सदस्यता ली किन्तु बसपा का विलय कांग्रेस में नहीं हुआ है। अतः इन्हें विधायक दल का हिस्सा नहीं बताया जा सकता।