राज्यसभा चुनाव 2018: गुजरात से यूपी तक बीजेपी ने भर दिया रोमांच, एक-एक वोट के लिए रस्साकशी
By आदित्य द्विवेदी | Published: March 23, 2018 07:11 AM2018-03-23T07:11:17+5:302018-03-23T09:12:43+5:30
Rajyasabha Election 2018 Live (राज्य सभा चुनाव 2018 Live| Rajya Sabha Polls 2018): उत्तर प्रदेश की राज्य सभा की 10 सीटों के लिये आज मतदान होगा। नौ सीटों पर बीजेपी और सपा प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित है। असल घमासान बाकी बची एक सीट पर होने है जिसे हासिल करने के लिए बसपा अपना पूरा जोर लगा रही है।
नई दिल्ली, 23 मार्च: आम तौर पर राज्यसभा चुनाव को लेकर उतनी चर्चा नहीं होती क्योंकि नतीजे पहले से लगभग तय होते हैं। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने देश में राज्यसभा चुनाव को भी बेहद रोमांचक बना दिया है। पिछले साल गुजरात की एक राज्यसभा सीट के लिए चुनावी दंगल तो याद ही होगा, अब उत्तर प्रदेश में भी एक सीट के लिए जोड़-तोड़ जारी है। गुजरात की तरह यूपी में भी हाई वोल्टेज ड्रामे की पूरी उम्मीद है। गुजरात में कांग्रेस के अहमद पटेल ने जीत दर्ज की थी लेकिन क्या उत्तर प्रदेश में मायावती ये कमाल कर पाएंगी? उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की 10 सीटों के लिये आज होने वाले चुनाव में बसपा प्रत्याशी की जीत का सारा दारोमदार निर्दलीय विधायकों के रुख और विपक्ष की एकजुटता पर आ टिका है।
राज्यसभा चुनावः उत्तर प्रदेश का सियासी गणित
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा में एक उम्मीदवार को जिताने के लिये 37 विधायकों का समर्थन जरूरी है। प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में सपा के पास 47 सदस्य हैं। उसके पास अपनी उम्मीदवार जया बच्चन को चुनाव जिताने के बाद भी तकनीकी रूप से 10 वोट बच जाएंगे। बसपा के पास अब 18 वोट हैं जबकि कांग्रेस के पास सात और राष्ट्रीय लोकदल के पास एक वोट है।
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बहरहाल, 324 विधायकों के संख्या बल के आधार पर आठ सीटें आराम से जीत सकने वाली भाजपा ने 10 सीटों के लिये नौ प्रत्याशी उतारे हैं। यही विपक्ष के लिये चिंता का सबब है, क्योंकि अगर ‘क्रास वोटिंग‘ हुई तो विपक्ष के लिये मुसीबत होगी। भाजपा के अपने आठ प्रत्याशी प्रत्याशियों को जिताने के बाद 28 वोट बच जाएंगे। यहीं पर वह अपने नौवें प्रत्याशी को जिताने की सम्भावनाएं नजर आ रही हैं। इसी नौवें प्रत्याशी को जिताने के लिए रस्साकशी जारी है।
राज्यसभा चुनावः गुजरात से क्या मिले क्या सबक
गुजरात चुनाव में अमित शाह और स्मृति ईरानी की जीत को लेकर बीजेपी को कोई शंका नहीं थी। लेकिन बीजेपी ने मैदान में तीसरा उम्मीदवार भी उतारा ताकि अहमद पटेल को राज्यसभा पहुंचने से रोका जा सके। यह संभावना प्रबल हो गई जब विपक्ष के नेता शंकर सिंह बाघेला अपने 6 विधायकों के साथ कांग्रेस से बागी हो गए। कांग्रेस के 51 विधायकों में से 44 का समर्थन अहमद पटेल को था। जीत के लिए 44 वोट ही चाहिए थे। टूटन से डरी हुई कांग्रेस को अपने विधायकों को बैंगलुरु के एक रिसॉर्ट में बंद करके रखना पड़ा। इलेक्शन कमीशन में हाई वोल्टेड ड्रामे के बीच अहमद पटेल को विजेता घोषित किया गया।
राज्यसभा चुनावः भाजपा क्यों करती है ऐसा
राज्यसभा चुनाव एक फ्रेंडली मैच की तरह होता है जिसमें जीत हार का पहले से अंदाजा होता है। लेकिन बीजेपी ने इसे भी रोमांचक बना दिया है। एक-एक विधायक के लिए जोड़-तोड़ और गुणा-गणित लगा रहता है। दरअसल, अमित शाह के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा के आक्रामक राजनीति का रुख अख्तियार किया है। अमित शाह की पूरी कोशिश विपक्ष का राजनीतिक बल कम करने के साथ-साथ मनोबल गिराने की भी होती है। वो हर छोटे-बड़े चुनाव में जीत के लिए अतिरिक्त प्रयास करते हैं।
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राज्यसभा एक मात्र ऐसी लोकतांत्रिक संस्था बची है जहां नरेंद्र मोदी सरकार को रुकावट का सामना करना पड़ता है। एक तरफ लोकसभा में पूर्ण बहुमत दूसरी तरफ राज्यसभा में सिर्फ 58 सांसद। अगर एनडीए के सहयोगियों को भी मिला दें तो सिर्फ 83 सांसद ही होते हैं जो बहुमत से कहीं कम हैं। इससे सरकार के कई विधेयक भी लटक जाते हैं। भारतीय जनता पार्टी जल्दी से जल्दी राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।