राजस्थान: महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए नया कानून ला रही सरकार, टीवी कैमरा और पैनिक बटनयुक्त 500 वाहन चलाने की तैयारी
By विशाल कुमार | Published: March 9, 2022 09:22 AM2022-03-09T09:22:21+5:302022-03-09T09:24:58+5:30
संसदीय कार्य मंत्री शांति धैरवाल ने विधानसभा को बताया कि युवाओं में अमानवीय प्रवृत्ति विकसित हो रही है और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री इसके पीछे मुख्य कारण है। सामग्री को अप्रतिबंधित तरीके से परोसा जा रहा है जो ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देता है।
जयपुर:राजस्थान सरकार ने महिलाओं, विशेषकर लड़कियों के खिलाफ अपराधों की रोकथाम के उपायों को लागू करने के लिए एक प्रस्तावित कानून का मसौदा तैयार किया है। संसदीय कार्य मंत्री शांति धैरवाल ने मंगलवार को जानकारी दी।
धैरवाल ने सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक का हवाला दिया और बलात्कार जैसे अपराधों के लिए मुख्य कारण के रूप में सोशल मीडिया पर अप्रतिबंधित अश्लील सामग्री को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने इसे गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि विधेयक के पारित होने से सार्वजनिक स्थानों पर क्लोज-सर्किट टेलीविजन कैमरे लगाना आवश्यक हो जाएगा।
उन्होंने विधानसभा को बताया कि युवाओं में अमानवीय प्रवृत्ति विकसित हो रही है और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री इसके पीछे मुख्य कारण है। सामग्री को अप्रतिबंधित तरीके से परोसा जा रहा है जो ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा कि लड़कियों के खिलाफ होने वाले अपराधों की रोकथाम को लेकर सरकार काफी गंभीर है। इन घटनाओं को रोकने के लिए बजट में 500 वाहन चलाने का प्रावधान किया गया है जिसमें पैनिक बटन लगाए जाएंगे। ऐसे बटन सार्वजनिक स्थानों पर भी लगाए जाएंगे ताकि कोई भी घटना होते ही समय पर कार्रवाई के लिए सूचना उपलब्ध हो सके।
धैरवाल ने सदन को बताया कि 1 जनवरी, 2019 से 31 जनवरी, 2022 तक लड़कियों के बलात्कार के 5,793 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि 4,631 मामलों में आरोपपत्र जमा किए गए हैं और 6628 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि उनमें से 398 को 129 मामलों में दंडित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के मामलों में दो महीने में चार्जशीट जमा करना अनिवार्य है।
धैरवाल ने कहा कि उन्हें राज्य में 15 दिनों के भीतर जमा किया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मामले हैं जहां पॉक्सो अदालतों ने 26 दिनों और एक महीने में फैसला सुनाया और नौ दिनों के भीतर आरोप पत्रदायर किया गया।