राजस्थान में सोमवार को अलवर और अजमेर लोकसभा सीटों और मंडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में दोपहर बाद तक 40 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। जानकारी के मुताबिक, केकड़ी गांव में ईवीएम मशीन में तकनीकी गड़बड़ी के कारण कुछ देर के लिए मतदान बाधित हुआ।
केलादी के मांडा गांव में ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया और इसलिए मतदान केंद्र खाली रहे। ग्रामीणों ने पर्याप्त रूप से जलापूर्ति नहीं होने के चलते विरोध किया और उनके गांव की सड़कें भी खस्ताहाल हैं, जिसके चलते उन लोगों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया।
अलवर में घने कोहरे के चलते मतदान के शुरुआती घंटों में कम लोग घरों से निकले, लेकिन सुबह 9.30 बजे के बाद इसमें तेजी आई। तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान में तेजी देखी गई, क्योंकि बड़ी मात्रा में लोग मत डालने के लिए उमड़े। चुनाव परिणाम एक फरवरी को घोषित होगा। निर्वाचन आयोग के अनुसार, तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में 4,194 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
इन उपचुनावों में करीब 39 लाख मतदाता मतदान के पात्र हैं। अलवर में कुल 18.27 लाख मतदाता, अजमेर में 18.43 लाख मतदाता और मंडलगढ़ में 2.31 लाख मतदाता हैं। पहली बार उम्मीदवारों की तस्वीरों वाले ईवीएम उपलब्ध करवाए गए हैं, ताकि मतदाताओं को एक ही नाम के उम्मीदवारों को लेकर किसी प्रकार का भ्रम नहीं हो।
अलवर के कुल 11 उम्मीदवार, अजमेर के 23 और मंडलगढ़ के आठ उम्मीदवार मैदान में हैं। जैसा कि राजपूत समुदाय ने खुलकर कांग्रेस को तीनों सीटों पर समर्थन देने की बात कही है, ऐसे में ये उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के लिए अग्निपरीक्षा की तरह है।
इन उपचुनावों में जातीय समीकरण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। अलवर में दो यादव उम्मीदवार, अजमेर और मंडलगढ़ में क्रमश: जाट और ब्राह्मण उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं।
ये तीनों सीटें भाजपा के पास थीं, और सांसदों और विधायक के निधन के कारण यहां उपचुनाव कराने पड़े हैं। अजमेर के सांसद सांवर लाल जाट का पिछले साल नौ अगस्त को देहांत हो गया था, जबकि अलवर के सांसद महंत चंद नाथ का 17 सितंबर को देहांत हो गया था। वहीं, भाजपा की मंडलगढ़ क्षेत्र की विधायक कीर्ति कुमारी का स्वाइन फ्लू के चलते 28 अगस्त को निधन हो गया था।
मतदान सुचारु रूप से संपन्न कराने के लिए अजमेर में 6,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किया गए हैं, जबकि अलवर में 5,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।