राजस्थान: कोरोना वायरस के चलते वसूली के महीने में कर्जदारों-किरायेदारों पर लटकी भुगतान की कटार
By प्रदीप द्विवेदी | Updated: March 18, 2020 06:06 IST2020-03-18T06:06:41+5:302020-03-18T06:06:41+5:30
वर्तमान स्थिति ने खाड़ी संकट के दिनों की यादें ताजा कर दी हैं. सिनेमाघर, बाजार आदि बंद हैं, जिसके कारण ढाबों, होटलों आदि का कारोबार भी थम-सा गया है और बाजार में खराब होने वाली चीजों, सब्जियों आदि के दाम जमीन पर आ गए हैं, तो कुछ चीजों के भाव आसमान में पहुंच गए हैं.

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)
कोरोना वायरस के बढ़ते असर के चलते घोषित सरकारी बंद के बीच आमजन, खासकर सामान्य वर्ग के लिए आर्थिक संकट भी गहराता जा रहा है. मार्च का महीना सरकारी, गैर-सरकारी स्तर पर वसूली का महीना होता है, ऐसे में बिजली के बिल, बैंक के बकाया, ब्याज, टैक्स आदि से संबंधित भारी आर्थिक तनाव रहता है.
जाहिर है, अर्थ-चक्र गड़बड़ाने के कारण किरायेदारों, कर्जदारों, बकायादारों के लिए जरूरी धन की व्यवस्था करना मुश्किल होता जा रहा है. यदि ऐसी स्थिति लंबी चली तो राशन-पानी की व्यवस्था भी बड़ा सवाल बन जाएगा.
इन हालात में सरकार को विभिन्न प्रतिष्ठानों को बंद करने के साथ-साथ सरकारी, गैर-सरकारी वसूलियां रोकने के अलावा लोगों के लिए राशन-पानी का भी इंतजाम करना होगा.
वर्तमान स्थिति ने खाड़ी संकट के दिनों की यादें ताजा कर दी हैं. सिनेमाघर, बाजार आदि बंद हैं, जिसके कारण ढाबों, होटलों आदि का कारोबार भी थम-सा गया है और बाजार में खराब होने वाली चीजों, सब्जियों आदि के दाम जमीन पर आ गए हैं, तो कुछ चीजों के भाव आसमान में पहुंच गए हैं.
देश-विदेश में राजस्थान के लाखों लोग कार्यरत हैं, इनमें से श्रमिक-वर्ग तो भविष्य को लेकर बहुत परेशान है. दक्षिण राजस्थान- उदयपुर, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा आदि जिलों के हजारों लोग खाड़ी के देशों में मजदूरी करते हैं. वहां वे परेशान हैं और यहां उनके परिवारजन तनाव में हैं.
कोरोना वायरस के तनाव के बीच देश-प्रदेश की सरकारों ने इस वर्ग की सुरक्षा, प्रमुखरूप से आर्थिक सुरक्षा की ओर अब तक कोई खास ध्यान नहीं दिया है.