राजस्थान में बढ़ती अमर्यादित भाषा बड़ा सवाल? अपनी टिप्पणी के कारण राजेन्द्र गुढ़ा सियासी चर्चाओं का केन्द्र बने!
By प्रदीप द्विवेदी | Published: July 17, 2019 08:34 PM2019-07-17T20:34:48+5:302019-07-17T20:34:48+5:30
उदयपुरवाटी से बसपा विधायक गुढ़ा ने पहले तो खड़े होते ही वर्तमान सीएम अशोक गहलोत सरकार के बजट की तारीफ की और इसकेे बाद सीधे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर आरोप लगाना शुरू किया, लेकिन माहौल तब हंगामेदार हो गया जब गुढ़ा की अमर्यादित टिप्पणी पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ खड़े हुए.
विधानसभा जैसे संवैधानिक सदनों में अमर्यादित भाषा का बढ़ता उपयोग, बड़ा सवाल बनता जा रहा है. राजस्थान विधानसभा में बजट पर बहस के दौरान बसपा विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर कई आरोप लगाए और जब उनके आरोपों की भाषा अमर्यादित हुई तो हंगामा शुरू हो गया.
हालांकि, कांग्रेस ने जहां गुढ़ा के वक्तव्य पर मेजें थपथपाई, वहीं भाजपा पहले तो इसे सदन की कार्यवाही से हटाने की कहती रही, इसके बाद बीजेपी विधायक वैल में पहुंच गए और नारेबाजी करते रहे, जिन्हें अध्यक्ष सीपी जोशी ने आसन पर पहुंच कर शांत किया. उन्होंने गुढ़ा की अमर्यादित टिप्पणी पर पाबंदी भी लगा दी.
उदयपुरवाटी से बसपा विधायक गुढ़ा ने पहले तो खड़े होते ही वर्तमान सीएम अशोक गहलोत सरकार के बजट की तारीफ की और इसकेे बाद सीधे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर आरोप लगाना शुरू किया, लेकिन माहौल तब हंगामेदार हो गया जब गुढ़ा की अमर्यादित टिप्पणी पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ खड़े हुए और बोले कि- हम गालियां खाने के लिए यहां बैठे हैं, क्या?
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया भी नाराज हो गए, उनका कहना था कि- गलत और अमर्यादित शब्द सदन की प्रोसिडिंग में नहीं आने चाहिए. यही नहीं, मदन दिलावर, किरण माहेश्वरी आदि विधायक तो न केवल गुढ़ा से माफी मांगने की बात कहते रहे, बल्कि उन्हें बाहर करने की मांग भी करते रहे.
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ दिनों से अपने सियासी बयानों को लेकर भी राजेन्द्र गुढ़ा चर्चाओं का केन्द्र बने हुए हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने प्रेस से कहा था कि- राजस्थान का सीएम तो राजस्थान की मिट्टी का ही होना चाहिए और वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. राजस्थान के हर हिस्से से हर समाज की यह आवाज थी कि गहलोत ही सीएम बनें. अशोक गहलोत जनता के दिल की आवाज थी. उन्होंने कहा कि हम बसपा के सभी छह विधायक अशोक गहलोत के साथ हैं और पूरे पांच साल गहलोत के साथ रहेंगे.
राजस्थान में सीएम का पद न केवल बीजेपी के राजनीतिक निशाने पर है, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी इसको लेकर सियासी बयानबाजी जारी है. देखना दिलचस्प होगा कि- राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी अशोक गहलोत पार्टी के भीतर और बाहर की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सियासी चुनौतियों से कैसे निपटते हैं?