लोकसभा चुनाव 2019: कौशांबी में किसे फायदा पहुंचा रही है राजा भैया का जनसत्ता दल?

By आदित्य द्विवेदी | Published: April 24, 2019 04:19 PM2019-04-24T16:19:36+5:302019-04-24T16:54:00+5:30

राजा भैया की नवगठित पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) ने कौशांबी संसदीय सीट से पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को टिकट दिया है। जानें कौशांबी का राजनीतिक समीकरण...

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एक रैली के दौरान राजा भैया (फाइल फोटो)

Highlightsराजा भैया ने कौशांबी से पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को टिकट दिया है।कौशांबी लोकसभा में मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। राजाभैया की पार्टी गठबंधन या बीजेपी में से किसे फायदा पहुंचाएगी

बाहुबली और कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजाभैया ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नई पार्टी जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) का ऐलान किया। उनकी पार्टी ने प्रतापगढ़ और कौशांबी सीट के लिए उम्मीदवार उतारे हैं। प्रतापगढ़ से उनके भाई और सपा एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह और कौशांबी से पूर्व सांसद शैलेंद्र कुमार को टिकट दिया है। राजा भैया की पार्टी और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर लंबे दौर की बातचीत चली लेकिन विफल साबित हुई। राजाभैया अकेले चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि राजाभैया की पार्टी किसे फायदा पहुंचाएगी?

कौशांबी में त्रिकोणीय मुकाबला

कौशांबी लोकसभा में मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। राजा भैया की पार्टी ने पूर्व सांसद शैलेंद्र को टिकट दिया है। शैलेंद्र समाजवादी पार्टी के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं। राजाभैया के नाम पर बीजेपी से छिटके सवर्ण वोट तो उन्हें मिल ही सकते हैं साथ ही इंद्रजीत सरोज के बसपा छोड़ने के कारण नाराज बसपा वोटर भी शैलेंद्र के पाले में जा सकता है। 

दूसरी तरफ सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी हैं इंद्रजीत सरोज। बसपा से सपा में आने के बाद इंद्रजीत को कौशांबी से टिकट दिया गया है।

मौजूदा सांसद विनोद सोनकर पर बीजेपी ने एकबार फिर भरोसा जताया है। हालांकि गठबंधन की वजह से उनकी स्थिति डांवाडोल है लेकिन वो मोदी मैजिक के सहारे एकबार फिर ताल ठोंक रहे हैं। इसके अलावा बसपा और सपा के छिटके वोटरों को भी वो अपने पाले में करना चाहते हैं।

अखिलेश के चाचा शिवपाल की पार्टी भी इस सीट से मैदान में है और बसपा के बागी नेता गिरीश को कांग्रेस ने टिकट दिया है।

क्या बीजेपी को फायदा पहुंचा रही जनसत्ता दल?

राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चा है कि राजा भैया की नई पार्टी के गठन के पीछे बीजेपी का ही हाथ है। इस दावे के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं जो बीजेपी की राह आसान करते हैंः

- राज्यसभा चुनाव के लिए राजा भैया ने सपा-बसपा के खिलाफ वोट दिया था। फिलहाल उन्हें बीजेपी से नजदीकी माना जा रहा था। ऐसे में अचानक बीजेपी से पंगा क्यों लेंगे?

- राजा भैया नई पार्टी के गठन से बीजेपी के नाराज वोट बैंक को थाम सकते हैं, वहीं एसपी-बीएसपी के नाराज नेताओं को लामबंद कर सकते हैं।

- चुनाव बाद सपा-बसपा गठबंधन की बजाए उनके बीजेपी के साथ जाने की संभावनाएं ज्यादा हैं।

कौशांबी संसदीय सीटः जरूरी बातें

कौशांबी संसदीय सीट का गठन 2008 में किया गया था। चुनाव आयोग के मुताबिक 2009 में यहां कुल 1,391,312 वोटर हैं जिनमें 7,54,584 पुरुष और 6,36,728 महिलाएं हैं। इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं- बाबागंज, कुंडा, सिराथू, मंझनपुर और चायल।

2014 लोकसभा चुनाव में इस सीट से बीजेपी के विनोद कुमार सोनकर जीते थे। सपा के शैलेंद्र कुमार दूसरे स्थान पर रहे थे। विनोद सोनकर को कुल 33,1593 वोट मिले थे वहीं शैलेंद्र को 288746 वोट मिले थे।

English summary :
Raghuraj Pratap Singh alias Raja bhaiya from Bahubali and Kunda announced the new party Jansatta Dal (Democratic) just before Lok Sabha elections. His party has fielded candidates for Pratapgarh and Kaushambi. From Pratapgarh, his brother and SP MLC Akshay Pratap Singh and Kaushambi have given tickets to former MP Shailendra Kumar.


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