नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज (30 अप्रैल) अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ संवाद की अपनी श्रृंखला शुरू करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ चर्चा की। ये चर्चा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। रघुराम राजन ने राहुल गांधी से बातचीत में कहा,कोरोना वायरस महामारी के दौरान भारत को गरीबों का पेट भरने के लिए 65,000 करोड़ रुपये की जरूरत है और वह यह खर्च उठा पाने में सक्षम है। राहुल गांधी ने वीडियो चर्चा के दौरान राजन को दिए अपने जवाब से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। आइए जानें चर्चा की 10 बड़ी बातें....
- राजन ने राहुल गांधी से कहा, लॉकडाउन हटाने में हमें समझदारी से काम लेना होगा, नाप-तौलकर कदम उठाने होंगे क्योंकि भारत की लोगों को लंबे समय तक खाना खिलाने की क्षमता नहीं हैं।
- राजन ने राहुल गांधी से कहा, सामाजिक सौहार्द लोक हित में है, जब हम बहुत बड़ी चुनौती से लड़ रहे हैं तब अपने घरों को बंटने नहीं दे सकते हैं।
- राहुल गांधी ने सवाल किया, मैंने अपने लिए उन सवालों के जवाब देने का एक दिलचस्प तरीका सोचा और उन लोगों के लिए आपके साथ बातचीत करना होगा, ताकि आप जो सोच रहे हैं, उसकी जानकारी हो सके?
जवाब में राजन ने कहा- मुझे लगता है कि ऐसे समय में, इन मुद्दों पर अधिक से अधिक जानकारी का होना आवश्यक है और जनता को जितना संभव हो सूचित किया जाए।
- राहुल गांधी ने सवाल किया, मैं जिन चीजों के बारे में सोच रहा हूं उनमें से एक यह है कि हमें अर्थव्यवस्था को खोलने के बारे में कैसे सोचना चाहिए। आपको क्या लगता है कि किन हिस्सों को खोला जाना महत्वपूर्ण है और खोलने का क्रम क्या हो?
जवाब में राजन ने कहा- संरचनाओं को बनाने के साथ-साथ इसे अपेक्षाकृत सुरक्षित बनाने के लिए दोनों की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना कि क्या दुर्घटनाएँ और ताजा मामले हैं, आप दूसरे या तीसरे लॉकडाउन में जाए बिना जल्दी से कैसे आइसोलेट हो जाते हैं, क्योंकि वे विनाशकारी होंगे।
- राहुल गांधी ने पूछा- हम एक बड़ा देश हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका या यूरोपीय देशों की तरह परीक्षण करने की हमारी क्षमता तुलनात्मक रूप से सीमित है। तो आप निम्न स्तर के परीक्षण के बारे में क्या सोचते हैं?
जवाब में राजन ने कहा- शायद ज्यादा से ज्यादा टेस्ट। टेस्टिंग के तरीके हैं, जो टेस्ट के बुनियादी ढांचे पर बोझ को कम हुए हमें और अधिक प्रयास करने की अनुमति दे सकते हैं। हमें लॉकडाउन खोलने के बारे में चतुर होना चाहिए, क्योंकि हम तब तक इंतजार नहीं करेंगे जब तक हमारे पास उस तरह की सुविधा न हो।
-राहुल गांधी ने कहा, वायरस का प्रभाव होने जा रहा है और फिर कुछ समय बाद, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ने वाला है। एक झटका या एक वास्तविक प्रभाव, जो अब से कुछ महीने बाद आने वाला है।
- राहुल गांधी ने पूछा-आप अभी वायरस से लड़ने और तीन-चार महीने बाद वायरस के परिणामों से लड़ने के बीच संतुलन कैसे बनाते हैं?
जवाब में राजन ने कहा- प्राथमिकता दें, क्योंकि हमारी क्षमताएं और संसाधन सीमित हैं। सबसे पहले, लोगों को अच्छी तरह से जीवित रखें। खाना बेहद जरूरी है। हर जगह तक पहुंच सुनिश्चित करें। इस महामारी को ऐसी स्थिति मानें जो अभूतपूर्व है। इससे निपटने के लिए हमें मानदंडों को तोड़ने की जरूरत है।
- राहुल गांधी ने पूछा- कृषि क्षेत्र और मजदूरों के बारे में आप क्या सोचते हैं। प्रवासी मजदूरों के बारे में क्या सोचते हैं। इनकी वित्तीय स्थिति के बारे में क्या किया जाना चाहिए?
जवाब में राजन ने कहा- लोगों को जीवित रखना और उन्हें विरोध के लिए या फिर काम की तलाश में लॉकडाउन के बीच ही बाहर निकलने के लिए मजबूर न करना ही सबसे फायदेमंद होगा। ज्यादा से ज्यादा लोगों को पैसा दें और PDS के जरिए भोजन भी मुहैया कराएं।
- राहुल गांधी ने पूछा, डॉ. राजन कितना पैसा लगेगा गरीबों की मदद करने के लिए?
जवाब में राजन ने कहा- तकरीबन 65,000 करोड़। हमारी जीडीपी 200 लाख करोड़ की है, इसमें से 65,000 करोड़ निकालना बहुत बड़ी रकम नहीं है। हम ऐसा कर सकते हैं। अगर इससे गरीबों की जान बचती है तो हमें यह जरूर करना चाहिए।
- राहुल गांधी ने रघुराम राजन से पूछा कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन को कैसे खोला जाए?
रघुराम राजन ने कहा- अगर हम ऐसा सोचते हैं कि जब केसों की संख्या शून्य हो जाएगी तब लॉकडाउन खोला जाएगा तो यह असंभव है।