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कोरोना लॉकडाउन पर रघुराम राजन ने कहा, आजादी के बाद की सबसे बड़ी इमरजेंसी का सामना कर रही है भारत की इकोनॉमी

By पल्लवी कुमारी | Updated: April 6, 2020 11:11 IST

कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए भारत में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक 21 दिनों का लॉकडाउन है। कोरोना वायरस महामारी के मामले भारत में बढ़ते जा रहे है। कोविड​​-19 मामलों की संख्या सोमवार को बढ़कर 4067 तक पहुंच गई, जबकि मरने वालों की संख्या बढ़कर 109 हो गई।

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ठळक मुद्देरघुराम राजन ने कहा कि सारे काम प्रधाानमंत्री कार्यालय से नियंत्रित होने से ज्यादा फायदा नहीं होगा क्यों कि वहां लागों पर पहले से काम का बोझ ज्यादा है। रघुराम राजन ने , 21 दिनों का लॉकडाउन (बंद) पहला कदम है। इससे हमें बेहतर तैयारी करने का समय मिला है।

नई दिल्ली:  रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कोरोना वायरस के मद्देनजर भारत में लगे लॉकडाउन पर कहा है कि आजादी के बाद यह सबसे बड़ी इमरजेंसी देश की इकोनॉमी के लिए है। लिंकडिन पर लिखे अपने ब्लॉग में रघुराम राजन ने लिखा है, ''भारत की अर्थव्यवस्था आजादी के बाद के 'सबसे बड़े आपातकाल' का सामना कर रही है और यह साल 2008—09 की वैश्विक मंदी से भी गहरा संकट है।''  राजन ने कहा कि हम लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं सह सकते हैं। ऐसे में हमें इस बात पर विचार करना होगा कि किस तरह से संक्रमण को सीमित रखते हुए आर्थिक गतिविधियों को पुन: शुरू करें। उन्होंने कहा, भारत को अब इस बारे में भी योजना तैयार करने की जरूरत है कि लॉकडाउन के बाद भी वायरस पर काबू नहीं पाया जा सका तब क्या किया जाएगा।

 विपक्षी दलों और एक्सपर्ट की मदद सरकार को लेनी चाहिए: रघुराम राजन 

रघुराम राजन ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को इस बात की सलाह दी है कि वह भारत की इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए विपक्षी दलों और एक्सपर्ट की मदद भी लेनी चाहिए। अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा कि यह आर्थिक लिहाज से आजादी के बाद की सबसे बड़ी आपात स्थिति है। 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान मांग में भारी कमी आई थी, लेकिन तब हमारे कामगार काम पर जा रहे थे, हमारी कंपनियां सालों की ठोस वृद्धि के कारण मजबूत थीं, हमारी वित्तीय प्रणाली बेहतर स्थिति में थी और सरकार के वित्तीय संसाधन भी अच्छे हालात में थे। अभी जब हम कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं, इनमें से कुछ भी सही नहीं हैं।

रघुराम राजन ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए और क्या-क्या कहा? 

- रघुराम राजन ने कहा कि यदि उचित तरीके और प्राथमिकता के साथ काम किया जाए तो भारत के पास ताकत के इतने स्रोत हैं कि वह महामारी से न सिर्फ उबर सकता है बल्कि भविष्य के लिये ठोस बुनियाद भी तैयार कर सकता है। राजन ने कहा कि सारे काम प्रधाानमंत्री कार्यालय से नियंत्रित होने से ज्यादा फायदा नहीं होगा क्यों कि वहां लागों पर पहले से काम का बोझ ज्यादा है। 

रघुराम राजन ने कहा, अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। सरकार को उन लोगों को बुलाना चाहिए, जिनके पास साबित अनुभव और क्षमता है। भारत में ऐसे कई लोग हैं जो सरकार को इससे उबरने में मदद कर सकते हैं। सरकार राजनीतिक विभाजन की रेखा को लांघ कर विपक्ष से भी मदद ले सकती है, जिसके पास पिछले वैश्विक वित्तीय संकट से देश को निकालने का अनुभव है।

- पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोविड-19 के प्रकोप से निकलने के लिये हमारी त्वरित प्राथमिकता व्यापक जांच, एक-दूसरे से दूरी तथा कठोर क्वारंटीन (पृथकीकरण) के जरिये संक्रमण के प्रसार की रोकथाम होनी चाहिए। 

- रघुराम राजन ने , 21 दिनों का लॉकडाउन (बंद) पहला कदम है। इससे हमें बेहतर तैयारी करने का समय मिला है। सरकार हमारे साहसी चिकित्सा कर्मियों के सहारे लड़ रही है और जनता, निजी क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र, सेवानिवृत्त लोगों समेत हरसंभव संसाधन का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। हालांकि सरकार को गति कई गुणा तेज करने की जरूरत है।

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