सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्दी निपटारे संबंधी जनहित याचिका पर अगले सप्ताह होगी सुनवाई

By भाषा | Published: November 10, 2021 07:27 PM2021-11-10T19:27:55+5:302021-11-10T19:27:55+5:30

Public interest litigation for early disposal of criminal cases against MPs will be heard next week | सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्दी निपटारे संबंधी जनहित याचिका पर अगले सप्ताह होगी सुनवाई

सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्दी निपटारे संबंधी जनहित याचिका पर अगले सप्ताह होगी सुनवाई

नयी दिल्ली, 10 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह जघन्य आपराधिक मामलों में दोषी सांसदों और विधायकों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और उनके खिलाफ मुकदमों के जल्दी निपटारे का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगी।

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस मामले पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

गौरतलब है कि पीठ सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों के बारे में जनहित याचिका पर समय-समय पर निर्देश देती रही है ताकि सीबीआई और अन्य एजेंसियों द्वारा मामलों की त्वरित जांच सुनिश्चित की जा सके और उच्च न्यायालयों द्वारा विशेष अदालतों के गठन के अलावा मुकदमों की सुनवाई तेजी से पूरी हो सके।

पीठ ने कहा कि सांसदों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रही विशेष अदालतों के अधिकार क्षेत्रों को लेकर कुछ आवेदन दिए गए हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मंगलवार को एक मुकदमे का हवाला देते हुए कहा था कि अश्वनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर अपने फैसले में न्यायालय ने निर्देश दिया था कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मुकदमों की सुनवाई ‘‘निर्धारित मजिस्ट्रेट अदालत’’ में होगी।

सिब्बल ने दलील दी थी, ‘‘लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं हुआ है, इसलिए मामले (फौजदारी मुकदमे) सुनवाई के लिए सीधे सत्र अदालत में जाते हैं।’’

पीठ ने मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता को आश्वासन दिया था, ‘‘हम मामले को सूचीबद्ध करेंगे।’’

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ सीबीआई की ढुलमुल जांच पर चिंता व्यक्त की थी और तेजी से जांच करने तथा मुकदमों की सुनवाई पूरी करने और उच्च न्यायालयों द्वारा अतिरिक्त विशेष अदालतों के गठन के बारे में अनेक निर्देश दिये थे।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों से कहा था कि जहां भी जरूरी हों, अतिरिक्त विशेष अदालतें स्थापित की जाएं ताकि लंबित मुकदमों का तेजी से निस्तारण हो सके। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों से यह भी कहा था कि यदि इस मामले में केन्द्र या राज्य से किसी प्रकार सहयोग नहीं मिल रहा हो तो उसे इससे अवगत कराया जाए।

पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘बारीकियों में जाए बगैर ही हम इन (सीबीआई के) मामलों को लेकर काफी चिंतित हैं। सालिसीटर जनरल ने हमें विश्वास दिलाया हैकि वह जांच एजेंसी को समुचित कार्यबल और संसाधन उपलब्ध कराने के बारे में सीबीआई के निदेशक से बात करेंगे ताकि लंबित मामलों की जांच यथाशीघ्र पूरी की जा सके।’’

पीठ ने यह भी कहा था, ‘‘सीबीआई आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठायेगी और आरोप निर्धारित करने के लिए सीबीआई अदालत को आवश्यक सहयोग प्रदान करेगी। सीबीआई सुनिश्चित करेगी कि अभियोजन के गवाहों को पेश करने में किसी प्रकार की कोताही नहीं हो।’’

सीबीआई की रिपोर्टर् के अनुसार सीबीआई की विभिन्न अदालतों में पीठासीन और पूर्व सांसदों से संबंधित 121 मुकदमें और पीठासीन तथा पूर्व विधायकों से संबंधित 112 मुकदमे लंबित थे। यही नहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि 37 मामले अभी भी जांच के दौर में हैं और इनमें सबसे पुराना मामला 24 अक्टूबर,2013 को दर्ज किया गया था।

शीर्ष अदालत ने इस स्थिति रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए कहा था कि उच्च न्यायालय इन लंबित मुकदमों के तेजी से निस्तारण के लिए जहां भी आवश्यक हो, सीबीआई की विशेष अदालतें गठित करेंगे।

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Web Title: Public interest litigation for early disposal of criminal cases against MPs will be heard next week

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