केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- जनता और पुलिस को एकदूसरे के प्रति बदलना चाहिए नजरिया

By भाषा | Published: November 29, 2019 06:25 PM2019-11-29T18:25:56+5:302019-11-29T18:25:56+5:30

अमित शाह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा में घुसपैठ, तस्करी, साइबर हमला, नारकोटिक्स (मादक पदार्थ) जैसी कई चीजें आती हैं जो राज्यों की पुलिस नहीं कर सकती। इसलिए भारत के गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि वह समन्वयक की भूमिका अदा करे।

public and police need to change their attitude towards each other says Amit Shah | केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- जनता और पुलिस को एकदूसरे के प्रति बदलना चाहिए नजरिया

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Highlightsकेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पुलिस को लेकर जनता के नजरिये और जनता के प्रति पुलिस के नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत पर बल दिया।उन्होंने कहा कि जब आप दीपावली पर अपने घर में पटाखे जलाते हैं तो एक पुलिसकर्मी अपनी खुशियां छोड़कर सुरक्षा में लगा होता है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पुलिस को लेकर जनता के नजरिये और जनता के प्रति पुलिस के नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत पर बल दिया। शाह ने आज शाम अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह हमारी जिम्मेदारी है कि पुलिस को लेकर जनता के नजरिये और जनता के प्रति पुलिस के नजरिये में बदलाव आये।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब आप दीपावली पर अपने घर में पटाखे जलाते हैं तो एक पुलिसकर्मी अपनी खुशियां छोड़कर सुरक्षा में लगा होता है, जब एक भाई बहन से राखी बंधवाने जाता है तो एक सिपाही सुरक्षा में लगा होता है। हर त्योहार में सिपाही सुरक्षा में अपना काम करता है ताकि देश की जनता खुशियों से त्योहार मना सके। देश के एक..एक नागरिक के मन में पुलिस के प्रति सम्मान पैदा करना हमारी आपकी जिम्मेदारी है।’’

उन्होंने कहा कि 1960 से 2019 तक अब तक पुलिस विज्ञान कांग्रेस में जितने पेपर रखे गये, पढ़े गये, उनका हुआ क्या। एक साइंस कांग्रेस ऐसी बुलायी जानी चाहिए जिसमें इस पर भी विचार करना चाहिये कि इनके क्रियान्वयन के लिये क्या किया गया।’’

शाह ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा में घुसपैठ, तस्करी, साइबर हमला, नारकोटिक्स (मादक पदार्थ) जैसी कई चीजें आती हैं जो राज्यों की पुलिस नहीं कर सकती। इसलिए भारत के गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि वह समन्वयक की भूमिका अदा करे।

उन्होंने कहा, ‘‘आज जब हम सब यहां बैठकर घुसपैठ, आतंकवाद, नक्सलवाद, जाली मुद्रा और नियमित कानून व्यवस्था के बारे में जब हम बातें कर रहे हैं तो शायद हम लोगों को भी मालूम नहीं कि आज जिस सफलता को हम देख रहे हैं उसमें 35 हजार से ज्यादा जवानों ने अपनी शहादत दी है। तब जाकर यह देश सुरक्षित हुआ है। आज एक आम नागरिक सुरक्षा का अनुभव कर सकता है।’’ 

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