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प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी के लिए गर्व की बात, अमर्त्य सेन के बाद अभिजीत बनर्जी का नोबेल पुरस्कार

By भाषा | Updated: October 14, 2019 18:05 IST

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार देबज्योति कोनार ने कहा कि विश्वविद्यालय को खुशी है कि उसके दो पूर्व छात्रों - अमर्त्य सेन और अब बनर्जी को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। उन्होंने कहा, ‘‘ पूरे प्रेसींडेंसी परिवार को बनर्जी पर गर्व है जिनका चयन एस्थर दुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए किया गया है।’’

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ठळक मुद्देवह हमारे मार्गदर्शक समूह के सदस्य रहे हैं और अर्थशास्त्र विभाग को हमेशा मूल्यवान सलाहें दी है।उन्होंने बताया कि बनर्जी 2018 में प्रेसीडेंसी आए थे और वैसे वह जब भी कोलकाता आते हैं, वह यहां जरूर आते हैं।

प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी ने सोमवार को कहा कि यह संस्थान के लिए गर्व की बात है कि उनके पूर्व छात्र और मार्गदर्शक समूह के सदस्य अभिजीत बनर्जी का चयन 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए किया गया है।

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार देबज्योति कोनार ने कहा कि विश्वविद्यालय को खुशी है कि उसके दो पूर्व छात्रों - अमर्त्य सेन और अब बनर्जी को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया। उन्होंने कहा, ‘‘ पूरे प्रेसींडेंसी परिवार को बनर्जी पर गर्व है जिनका चयन एस्थर दुफ्लो और माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए किया गया है।’’

कोनर ने कहा, ‘‘ वह हमारे मार्गदर्शक समूह के सदस्य रहे हैं और अर्थशास्त्र विभाग को हमेशा मूल्यवान सलाहें दी है। उन्होंने बताया कि बनर्जी 2018 में प्रेसीडेंसी आए थे और वैसे वह जब भी कोलकाता आते हैं, वह यहां जरूर आते हैं।

कोनर ने कहा कि दुर्गा पूजा के बाद जब संस्थान खुलेगा तो उन्हें उपयुक्त तरीके से सम्मानित किया जाएगा। बनर्जी के साथ-साथ संयुक्त विजेता में उनकी पत्नी एस्थर दुफ्लो और माइकल क्रेमर शामिल हैं। उन्हें यह पुरस्कार ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए किये गये कार्यों के लिये दिया गया।

नोबेल समिति के सोमवार को जारी एक बयान में तीनों को 2019 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। बयान के मुताबिक, ‘‘ इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर गरीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है।

मात्र दो दशक में उनके नये प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है। विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है।’’ बनर्जी, 58 वर्ष, ने भारत में कलकत्ता विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की।

इसके बाद 1988 में उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। वर्तमान में वह मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अर्थशास्त्र के फोर्ड फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय प्रोफेसर हैं। बनर्जी ने वर्ष 2003 में अपनी पत्नी दुफ्लो और सेंडिल मुल्लाइनाथन के साथ मिलकर ‘अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब’ (जे-पाल) की स्थापना की। बनर्जी संयुक्तराष्ट्र महासचिव की ‘2015 के बाद के विकासत्मक एजेंडा पर विद्वान व्यक्तियों की उच्च स्तरीय समिति’ के सदस्य भी रह चुके हैं। 

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