Priyanka Gandhi in Lok Sabha: पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर बार-बार हो रहे हमलों पर निशाना साधते हुए, प्रियंका गांधी ने कहा कि नेहरू ने अपनी पूरी जिंदगी देश को समर्पित कर दी थी। उन्होंने सदन को याद दिलाया कि नेहरू ने आजादी की लड़ाई के दौरान 12 साल जेल में बिताए थे। उन्होंने देश बनाने में उनके योगदान पर भी रोशनी डाली, यह देखते हुए कि ISRO, DRDO, AIIMS और IIT जैसे संस्थान उनके विजन-ड्रिवन लीडरशिप के दौरान ही बनाए गए थे।
उन्होंने कहा, "एक दिन नेहरू पर भी बहस होनी चाहिए। अगर उन्होंने ISRO की नींव नहीं रखी होती, तो भारत मंगल मिशन जैसी कामयाबी हासिल नहीं कर पाता।" प्रियंका गांधी ने यह भी बताया कि कांग्रेस ही वह पार्टी थी जिसने वंदे मातरम को राष्ट्रीय गीत घोषित किया था।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने सोमवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह भाषण अच्छा देते हैं, लेकिन तथ्यों में कमजोर हैं। उन्होंने सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि राष्ट्रीय गीत पर चर्चा की जरूरत नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह देश के कण-कण में बसा है तथा देश की भावना से जुड़ा है। केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य ने यह दावा भी किया कि सत्तापक्ष ने वंदे मातरम् पर चर्चा करवाई ताकि ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। प्रियंका गांधी ने कहा, ‘‘हमारा राष्ट्र गीत उस भावना का प्रतीक है जिसने गुलामी में सोए हुए भारत को जगाया।’’ उनका कहना था, ‘‘हम अपने सदन में राष्ट्र गीत पर चर्चा कर रहे हैं। हम इस पर बहस क्यों कर रहे हैं? यह बहस हम दो वजहों से कर रहे हैं। पहला कारण यह है कि पश्चिम बंगाल चुनाव आ रहा है और प्रधानमंत्री इसमें अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।
दूसरा कारण है कि देश की आजादी लड़ाई लड़ने वाले और कुर्बानियां देने वालों के खिलाफ नए आरोप लगाए जाएं। सरकार ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।’’ प्रियंका गांधी ने दावा किया कि यह सरकार वर्तमान और भविष्य की ओर नहीं देखना चाहती। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी का आत्मविश्वास घटने लगा है तथा उनकी नीतियां देश को कमजोर कर रही हैं।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘इनके अपने लोग दबी जुबान में कहने लगे हैं कि सारी सत्ता को केंद्रित करने से देश को नुकसान हो रहा है।’’ प्रियंका गांधी ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी जी भाषण अच्छा देते हैं, लेकिन तथ्यों के मामले में कमजोर पड़ जाते हैं। इसमें कला होती है कि कैसे जनता के सामने इसे रखा जाए। मैं नई हूं, जनता की प्रतिनिधि हूं, कलाकार नहीं हूं। इसलिए कुछ तथ्य रखना चाहती हूं।’’