कोविड-19 की दूसरी लहर में रिहा कैदी अगले आदेश तक नहीं करेंगे आत्मसमर्पण : न्यायालय
By भाषा | Updated: July 16, 2021 20:29 IST2021-07-16T20:29:22+5:302021-07-16T20:29:22+5:30

कोविड-19 की दूसरी लहर में रिहा कैदी अगले आदेश तक नहीं करेंगे आत्मसमर्पण : न्यायालय
नयी दिल्ली, 16 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आदेश दिया कि उसके सात मई के निर्देश पर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान राज्यों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा रिहा किए गए कैदियों को अगले आदेश तक समर्पण करने के लिए नहीं कहा जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने राज्य सरकारों और उनकी उच्चाधिकार प्राप्त समितियों को निर्देश दिया कि जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों की रिहाई पर उसके आदेश को लागू करने में अपनाए गए नियमों की जानकारी पांच दिन के भीतर दाखिल की जाए।
न्यायालय ने हरियाणा और त्रिपुरा की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों का उदाहरण देते हुए कहा कि वे कैदियों को रिहा करने के लिए अन्य आधारों के साथ ही वृद्धावस्था और रोगों जैसे पहलुओं पर विचार करती रही हैं।
शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) से राज्यों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा सात मई के आदेश को क्रियान्वित करने के लिए अपनाए गए नियमों का विवरण मिलने के बाद एक रिपोर्ट दायर करने को भी कहा।
पीठ ने कहा कि उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा रिहा किए गए कैदियों से अगले आदेशों तक जेल में वापस समर्पण करने के लिए नहीं कहा जाए।
मामले में न्यायमित्र के रूप में अदालत की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुनवाई के शुरू में कहा कि उन्हें कुछ वकीलों से सूचना मिल रही है कि दूसरी लहर के दौरान सात मई के आदेश के अनुपालन में रिहा किए गए कैदियों से वापस समर्पण करने को कहा जा रहा है।
कोविड-19 मामलों में ‘‘अभूतपूर्व वृद्धि’’ का संज्ञान लेते हुए, पीठ ने सात मई को उन सभी कैदियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था जिन्हें पिछले साल जमानत या पैरोल दी गई थी।
इसने पाया था कि देश भर में लगभग चार लाख कैदियों वाली जेलों में भीड़भाड़ कम करना कैदियों और पुलिसकर्मियों के "स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार" से संबंधित मामला है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि जिन लोगों को पिछले साल मार्च में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की उच्चाधिकार प्राप्त समितियों द्वारा जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी गई थी, उन्हें किसी पुनर्विचार के बगैर ही समान राहत दी जाए।
मामले में अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी।
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