जम्मू: जम्मू कश्मीर से राष्ट्रपति शासन हट गया है। इसके साथ ही प्रदेश में सीमित अधिकारों वाली सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। जम्मू कश्मीर में आजादी के बाद से 13 साल से अधिक राष्ट्रपति शासन लागू रहा है। पहली बार इसे 1977 में लागू किया गया था। वर्ष 1977 में मार्च महीने में तत्कालीन राज्य में उस समय प्रथम बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था जब कांग्रेस ने तत्कालीन शेख अब्दुल्ला की सरकार से अपना समर्थन वापस लिया था। लेकिन तब राज्यपाल शासन के छह माह भी अभी पूरे नहीं हुए थे कि राज्य में चुनाव करवा दिए गए थे क्योंकि तब आतंकवाद की कोई बात नहीं थी।
फिर दूसरी बार 1986 में फरवरी माह में राज्य में प्रथम बार होने वाले साम्प्रदायिक दंगों की स्थिति पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री जी एम शाह की सरकार से कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया जिसकी अवधि आठ माह थी।
जानकारी के लिए तत्कालीन राज्य में 5 जनवरी 2019 से पहले भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत सीधे राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया जा सकता था। अतः उसके स्थान पर राज्यपाल ही जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल कर राज्यपाल का शासन लागू कर सकते थे। राज्य में प्रथम छमाही में इसे राज्यपाल का शासन कहा जाता था और बाद मंे इसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता रहा है।
वर्ष 2017 में 51 दिनों तक राज्यपाल का शासन राज्य में रहा था। तब यह क्रम में 6ठा गवर्नर रूल था। फिर 2018 में यह सातवीं बार लगाया गया था। और जम्मू कश्मीर के इतिहास में 2 नवम्बर 2002 को दूसरा अवसर था जब लोकतांत्रिक सरकार के गठन की खातिर राज्यपाल शासन को हटाया गया था। तब 17 दिन पुराने राज्यपाल शासन को 2 नवम्बर 2002 को उस समय हटाया गया था जब गठबंधन सरकार ने शपथ ली थी। हालांकि इससे पूर्व 1977 में जुलाई महीने में उस समय राज्यपाल शासन को कुछ दिनों के बाद हटाया गया था जब शेख अब्दुल्ला सरकार ने शपथ ली थी। इससे पहले 19 जनवरी 1990 को लागू किया गया राज्यपाल शासन तो पौने 7 साल तक चला था।
चौथी बार राज्यपाल शासन इसलिए लागू करना पड़ा था क्योंकि राज्यपाल गिरीश चन्द्र सक्सेना के पास इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था क्योंकि उनके विकल्प पूरी तरह से सीमित थे। हालांकि राज्य को इस संवैधानिक संकट से बचने की खातिर वे अंतिम समय तक प्रयास करते रहे परंतु सभी अड़ियल रूख अपनाए हुए थे। पहले राज्यपाल ने चार दिनों का अतिरिक्त समय देकर राजनीतिक दलों को यह अवसर प्रदान किया कि वे राज्य में नई सरकार बनाने की खातिर दावा पेश करें। उनके लिए यह बहुत बड़ा संवैधानिक संकट था जिससे निकलने की खातिर उन्होंने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया था। तब भी पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला ने यह कह कर नया संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया था कि वे कार्यवाहक मुख्यमंत्री नहीं बने रहने चाहते।
हालांकि जून 2018 में यह कोई पहला अवसर नहीं था कि राज्य में राज्यपाल शासन लागू किया गया था बल्कि इस राज्यपाल शासन से 19 साल पूर्व भी राज्य एक रिकार्ड राष्ट्रपति शासन के दौर से बाहर निकला था। असल में 1990 के आरंभ में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने फारूक सरकार को बर्खास्त कर राज्य में 19 जनवरी 1990 को राज्यपाल शासन लागू कर दिया था। 1990 में लागू राष्ट्रपति शासन ने एक नया रिकार्ड बनाया था। तकरीबन पौने सात साल सालों तक यह राज्य मंे लागू रहा था। यह सिर्फ राज्य का ही नहीं बल्कि देश का भी अपने किस्म का नया रिकार्ड था कि इतनी लम्बी अवधि के लिए किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा हो। यही नहीं स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह प्रथम अवसर था कि जब राज्य में इतनी लम्बी अवधि के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का इतिहास
26 मार्च, 1977
तत्कालीन राज्यपाल एलके झा ने इस दिन राज्य में पहली बार राज्यपाल शासन लगाया था, जब कांग्रेस ने शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
मार्च 1986
कांग्रेस ने जी.एम. शाह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिससे दूसरी बार राज्यपाल शासन लागू होने की स्थिति बन गई।
जनवरी 1990
राज्यपाल शासन तब लगाया गया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने जगमोहन को राज्य का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद इस्तीफा दे दिया।
अक्तूबर 2002
विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने से इनकार कर दिया। यह तब था, जब एन.एन. वोहरा ने पहली बार राज्यपाल का पद संभाला था।
जून 2008
पीडीपी द्वारा गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद फिर से राज्यपाल शासन लगाया गया।
जनवरी 2015
राज्य चुनावों में अपनी पार्टी को बहुमत न मिलने के कारण उमर अब्दुल्ला ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करना बंद कर दिया और राज्य में छठी बार राज्यपाल शासन लागू किया गया।
7 जनवरी, 2016
7 जनवरी, 2016 को पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद सातवीं बार राज्यपाल शासन लगाया गया।
20 जून, 2018
वोहरा ने प्रशासन की बागडोर संभाली क्योंकि राज्य में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार से भाजपा के समर्थन वापस लेने के फैसले के बाद राज्यपाल शासन लगाया गया था।