जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को राज्य में राज्यपाल शासन खत्म होने के एक दिन पहले ही इसकी सिफारिश केंद्र सरकार को कर दी थी, जिसने मंत्रिमंडल की सहमति की मुहर लगाने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया था।
राज्यपाल शासन के छह माह पूरे होने के बाद बुधवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन को सहमति प्रदान कर दी गई है। इससे पूर्व 1990 से अक्तूबर 1996 तक 7 सालों तक जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था। राष्ट्रपति शासन किसी भी स्थिति में तीन साल से अधिक प्रभावी नहीं रहेगा। चुनाव आयोग का हस्तक्षेप अपवाद है। उसे इस बात का प्रमाणपत्र देना होगा कि विधानसभा चुनाव कराने में कठिनाइयों की वजह से राष्ट्रपति शासन का बना रहना आवश्यक है।
आइए जानें क्या है इसका इतिहास
राज्य संविधान अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन में नहीं आता है और राज्य के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत उसकी घोषणा की जाती है। ऐसे में उसके बाद लिए जाने वाले सभी निर्णयों पर अनुच्छेद 74 (1) के तहत राष्ट्रपति की मुहर लगनी अनिवार्य है। इस अनुच्छेद के तहत प्रधानमंत्री की अगुवाई में कैबिनेट राष्ट्रपति को सहयोग और सलाह देगी।
हालांकि यह कोई पहला अवसर नहीं है कि राज्य में राज्यपाल शासन लागू होगा बल्कि 22 साल पूर्व भी राज्य एक रिकार्ड राष्ट्रपति शासन के दौर से बाहर निकला था। असल में 1990 के आरंभ में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने फारूक सरकार को बर्खास्त कर राज्य में 19 जनवरी 1990 को राज्यपाल शासन लागू कर दिया था। जानकारी के लिए राज्य में भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत सीधे राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया जा सकता। अतः उसके स्थान पर राज्यपाल आप ही जम्मू कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल कर राज्यपाल का शासन लगू कर सकते हैं। राज्य में प्रथम छमाही में इसे राज्यपाल का शासन कहा जाता है और बाद मंे इसे राष्ट्रपति शासन कहा जाता है।
1990 में लागू राष्ट्रपति शासन ने एक नया रिकार्ड बनाया था। तकरीबन पौने सात साल सालों तक यह राज्य मंे लागू रहा था। यह सिर्फ राज्य का ही नहीं बल्कि देश का भी अपने किस्म का नया रिकार्ड था कि इतनी लम्बी अवधि के लिए किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू रहा हो।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह प्रथम अवसर था कि जब राज्य में इतनी लम्बी अवधि के लिए राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। इससे पूर्व वर्ष 1977 में मार्च महीने में राज्य में उस समय प्रथम बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था जब कांग्रेस ने तत्कालीन शेख अब्दुल्ला की सरकार से अपना समर्थन वापस लिया था।
लोकमत संवादता सुरेश डुग्गर के इनपुट के साथ)