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भारी विरोध के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी, बना कानून

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 13, 2019 05:59 IST

नागरिकता संशोधन विधेयकः हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें उनके देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

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ठळक मुद्देराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी।अधिसूचना के अनुसार गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है। इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें उनके देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा द्वारा और सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी, राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया था। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया था। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया था। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे। उन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में खासी कमी आयी है। विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए देश को आश्वस्त किया कि यह प्रस्तावित कानून बंगाल सहित पूरे देश में लागू होगा।उन्होंने इस विधेयक के संविधान विरूद्ध होने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि संसद को इस प्रकार का कानून बनाने का अधिकार स्वयं संविधान में दिया गया है। उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी थी कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय में न्यायिक समीक्षा में सही ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे भारत के नागरिक हैं और बने रहेंगे।

टॅग्स :नागरिकता संशोधन बिल 2019रामनाथ कोविंद
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