केवल 3.30 प्रतिशत वोट, कुछ न कुछ कमियां जरूर रहीं?, बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद प्रशांत किशोर ने कहा-100 फीसदी जिम्मेदारी लेता हूं, फिर से लड़ेंगे
By एस पी सिन्हा | Updated: November 18, 2025 14:36 IST2025-11-18T14:32:47+5:302025-11-18T14:36:43+5:30
जीविका समूहों की महिलाएं हों, आशा-आंगनबाड़ी से जुड़ी महिलाएं हों या प्रवासी मजदूर—सबको चुनाव के वक्त सीधे पैसे दिए गए।

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पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता न मिलने के बावजूद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार में बदलाव लाने के अपने संकल्प को दोहराया है। चुनाव परिणाम आने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब होते हुए प्रशांत किशोर ने न केवल अपनी पार्टी की हार की जिम्मेदारी ली, बल्कि सत्ता में लौटे एनडीए की जीत पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर थोड़े भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में अगर इतने साथी आए हैं तो जरूर ही चुनाव में हमने कुछ अच्छा काम किया होगा।
प्रशांत किशोर ने कहा कि करीब साढ़े तीन साल पहले बिहार में परिवर्तन की सोच के साथ हम सब आए थे। इसके लिए हमने पूरा प्रयास भी किया। लेकिन हमें सफलता नहीं मिली। अगर बिहार की जनता ने हमें नहीं चुना है, तो कहीं ना कहीं हमारे प्रयास में ही कोई गलती रही होगी। उन्होंने कहा कि बिहार राजनीति को बदलने के लिए थोड़ी बहुत भूमिका जरूर बनी।
लेकिन जनता का विश्वास नहीं जीत सके। पीके ने कहा कि हार की पूरी जिम्मेदारी मेरी है, प्रशांत किशोर की है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी की तरफ से बेहतर प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। लेकिन जनता ने उनका समर्थन नहीं दिया बल्कि अन्य किसी पार्टी के उम्मीदवार को जीत दिलाई। अब कोई खिचड़ी खाना चाहता है तो उसे पुलाव कैसे खिलाया जाये?
प्रशांत किशोर ने एनडीए सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि चुनाव से पहले 40 हजार करोड़ की योजनाएं लाई गईं। स्वरोजगार योजना के तहत डेढ़ करोड़ महिलाओं को 10-10 हजार रुपये भेजे गए और 2-2 लाख रुपये देने का वादा भी किया गया था। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार और भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार छह महीने के भीतर वादे के अनुसार महिलाओं को 2-2 लाख रुपये दे देती है, तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। अगर सरकार ऐसा नहीं कर पाती, तो साफ हो जाएगा कि महिलाओं को सिर्फ वोट खरीदने के लिए पैसे दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन की तो बात ही छोड़िए, हम सत्ता परिवर्तन भी नहीं ला पाए। लेकिन बिहार की राजनीति बदलने में हमारी भूमिका जरूर रही। प्रशांत किशोर ने कहा कि जिस दल को सिर्फ साढ़े 3 प्रतिशत वोट मिला, उसमें इतने प्रेस के साथी आए। यह बड़ी बात है। बिहार में हमने ईमानदार प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
हमलोगों से जरूर कुछ गलती हुई होगी, जिससे जनता ने विश्वास नहीं किया। उन्होंने कहा कि वह बिहार नहीं छोड़ने वाले हैं, बल्कि गांव-गांव जाकर जनता को जागरूक करने का अभियान जारी रखेंगे। साथ ही चुनावी असफलता के प्रायश्चित में 20 नवंबर को गांधी आश्रम में सामूहिक मौन उपवास भी करेंगे। प्रशांत किशोर ने यह भी दोहराया कि फिलहाल राजनीति छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम लोग सामूहिक तौर पर हारे हैं और हमलोग आगे रणनीति बनाएंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि जो जीतकर आए उन्हें बधाई। अब नीतीश जी और पूरे एनडीए पर जवाबदेही है। अब रोजी रोजगार और सबसे बड़ा मुद्दा है पलायन का। उन्होंने कहा कि बिहार में जहां सिर्फ जातियों की राजनीति होती है, हमने जातियों को अलग करने का गुनाह नहीं किया है।
हमने हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव भी नहीं किया है, जो लोग इन सबका सहारा लेकर जीत गए हैं, उन्हें आज नहीं तो कल, इसका हिसाब देना होगा। अभिमन्यु को मारकर भी महाभारत नहीं जीता गया था। कुछ लोग सोच रहे हैं कि मैं बिहार छोड़ दूंगा, यह उनकी गलतफहमी है।
जनसुराज और पीके की जिद्द है बिहार को सुधारने की, और मैं इसे सुधार कर ही रहूंगा। मैं पीछे हटने वाला नहीं हूं, यह मेरा संकल्प है। उन्होंने कहा कि बहस का कोई अंत नहीं है, लोग चुनाव आयोग पर टीका-टिप्पणी कर रहे हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में 60 से 62 हजार लोगों को 10 हजार रुपये दिए गए।
पूरा सरकारी तंत्र लगाया गया। जीविका की दीदियों को लगाया गया, आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की सैलरी बढ़ाई गई। आशा, ममता, और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर 10 हजार करोड़ और बाकी मिलाकर करीब-करीब 29 हजार करोड़ रुपये बांटे गए।