वित्तमंत्री को था अपने दफ्तर में जासूसी का शक, जानें पूरा मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 19, 2021 06:01 PM2021-07-19T18:01:33+5:302021-07-19T19:53:34+5:30
पेगासस मामले के सामने आने के बाद जासूसी के पुराने मामले भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए हैं।
पेगासस मामले के सामने आने के बाद जासूसी के पुराने मामले भी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए हैं। 2011 में तत्कालीन वित्त मंत्री जो बाद में राष्ट्रपति बने, प्रणब मुखर्जी के नॉर्थ ब्लॉक स्थित ऑफिस में जासूसी का ऐसा ही एक मामला सामने आया था, आईबी ने इस मामले में जांच भी की थी, जिसके बाद आईबी ने अपनी जांच में 'कुछ भी नहीं पाएं जाने' की बात कही थी।
प्रणब मुखर्जी ने की थी खुफिया जांच करवाने की मांग
तत्कालीन वित्तमंत्री और उनके दो सहयोगी ओमिता पॉल और प्राइवेट सेक्रेट्री मनोज पंत के दफ्तर के अलावा वित्त मंत्री द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कॉन्फ्रेंस रूम में भी जासूसी की बात सामने आई थी, इसे लेकर सितंबर 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मुखर्जी ने चिट्ठी भी लिखी थी। लेकिन इस पूरे मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया था।
वित्तमंत्री कार्यालय में 16 जगह पाएं गए थे संदिग्ध उपकरण
खबरों के मुताबिक प्रणब मुखर्जी ने मनमोहन सिंह से अपने दफ्तर में 16 जगहों पर पाएं गए कुछ संदिग्ध उपकरणों को लेकर खुफिया जांच करवाने की बात कही थी। इस प्रकरण को लेकर मुखर्जी ने बाद में पत्रकारों से कहा था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो की जांच में कुछ नहीं पाया गया। प्रणब मुखर्जी ने मनमोहन सरकार सरकार में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और वित्त मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर सेवा देने के बाद 2012 में सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। मुखर्जी 2012 में देश के तेरहवें राष्ट्रपति चुने गए। प्रणब मुखर्जी का 85 वर्ष की उम्र में पिछले साल 31 जुलाई 2020 को निधन हो गया था।
रविवार की रात से देश में द गार्जियन और वाशिंगटन पोस्ट समेत 16 मीडिया संस्थानों की एक संयुक्त रिपोर्ट में को लेकर बवाल मचा हुआ है, दावा किया गया है कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीय मोबाइल नंबरों की जासूसी की है। इन लोगों में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल हैं। सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने सफाई देते हुए सभी आरोपों को निराधार बताया है।