महाराष्ट्र में प्लास्टिक बैन: पहल सराहनीय लेकिन बचे हुए 28 राज्यों का क्या?
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: June 23, 2018 15:31 IST2018-06-23T15:31:55+5:302018-06-23T15:31:55+5:30
महाराष्ट्र सरकार ने इस साल मार्च महीने में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए एक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना के तहत प्लास्टिक उत्पादों के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

महाराष्ट्र में प्लास्टिक बैन: पहल सराहनीय लेकिन बचे हुए 28 राज्यों का क्या?
मुंबई, 23 जून। प्लास्टिक उन कारकों में से है जो पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पन्द्रह हज़ार टन से अधिक प्लास्टिक कचरा प्रतिदिन बनता है। बावजूद इसके प्लास्टिक से होने वाले नुकसान की भरपाई का कोई मज़बूत विकल्प नज़र नहीं आता है। प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को रोकने वाली बहसों में अक्सर जूट के थैले और बैग का ज़िक्र ज़रूर होता है लेकिन उसका उपयोग कम ही होता है।
महाराष्ट्र सरकार ने इस साल मार्च महीने में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए एक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना के तहत प्लास्टिक उत्पादों के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा एक बार उपयोग में आने वाले प्लास्टिक के उत्पाद जैसे चम्मच, प्लेट, बैग, बोतल, पोलिथीन, डिस्पोज़ल आदि के भंडारण पर भी रोक लगा दी गई है।
नए नियम के बाद अगर आप प्रतिबंधित हो चुकी प्लास्टिक का उपयोग करते पाए जाते हैं तो आप पर आर्थिक जुर्माना भी लग सकता है। इनमें न्यूनतम आर्थिक जुर्माना 5000 रूपए रखा गया है। भारत के किसी भी राज्य में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण के लिए यह सबसे अधिक आर्थिक जुर्माना है। इतना अधिक जुर्माना होने पर इसका विरोध करते हुए इसे 5000 रुपये की जगह 200 रुपये करने की माँग की गई।
इसके उलट BMC ने इस दंड को 5000, 10000 और 25000 से बीच कर दिया, पहली बार उल्लंघन करने पर 5000, दूसरी बार 10000 और कई बार उल्लंघन करने पर 25000 रूपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा जिन प्लास्टिक सम्बंधी उत्पादों पर प्रतिबंध नहीं लगा है, उनमें दवाईयाँ, पेन-पेन्सिल की पैकिंग, बिस्किट-चिप्स की पैकिंग, रेन कोट उत्पादन में थर्माकोल जैसी चीजें शामिल हैं।
प्लास्टिक का संकट हमारी समझ और कल्पना से कहीं भयानक है। हाल ही में आई यूनाईडेट नेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक महासागरों में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगा जो समुद्री जीवों के लिए बेहद ख़तरनाक है। दुर्भाग्यवश प्लास्टिक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने के मामले में भारत का विश्व में दसवां स्थान है। 'विकास की सड़क' पर तेज़ी से दौड़ते हुए हम कुछ निशान पीछे छोड़ रहे हैं उनमें प्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण भयानक निशानों में से एक है। बेशक महाराष्ट्र सरकार का यह कदम सराहनीय है, लेकिन इसके अलावा बचे 28 प्रदेशों का क्या?
रिपोर्ट- विभव देव शुक्ला