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प्रधानमंत्री को संसद में बयान देना चाहिए, जासूसी हुई या नहीं बताना चाहिए : चिदंबरम

By भाषा | Updated: July 25, 2021 19:20 IST

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(आसिम कमाल)

नयी दिल्ली, 25 जुलाई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि सरकार को या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति के जरिए जांच करानी चाहिए या उच्चतम न्यायालय से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं।

पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि कोई इस हद तक कह सकता है कि 2019 के पूरे चुनावी जनादेश को ‘‘गैरकानूनी जासूसी’’ से प्रभावित किया गया। हालांकि, उन्होंने कहा कि इससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत हासिल करने में ‘‘मदद’’ मिली हो सकती है, जिसको लेकर आरोप लगे थे।

चिदंबरम ने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति की जांच से अधिक प्रभावी हो सकती है। उन्होंने कहा कि जेपीसी को संसद द्वारा अधिक अधिकार मिलता है।

संसद की सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) समिति के प्रमुख शशि थरूर की इस टिप्पणी पर कि यह विषय ‘‘मेरी समिति के अधीन है’’ और जेपीसी की आवश्यकता नहीं है, के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने संदेह व्यक्त किया कि क्या भाजपा के बहुमत वाली आईटी समिति मामले की पूरी जांच होने देगी।

उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय समिति के नियम ज्यादा सख्त हैं। उदाहरण के लिए वे खुले तौर पर सबूत नहीं ले सकते हैं लेकिन एक जेपीसी को संसद द्वारा सार्वजनिक रूप से साक्ष्य लेने, गवाहों से पूछताछ करने और दस्तावेजों को तलब करने का अधिकार दिया जा सकता है। इसलिए मुझे लगता है कि एक जेपीसी के पास संसदीय समिति की तुलना में कहीं अधिक शक्तियां होंगी।’’

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच की हद को लेकर संसदीय समिति की भूमिका को कमतर नहीं बता रहे हैं।

पिछले रविवार को, एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूह ने कहा था कि भारत में पेगासस स्पाईवेयर के जरिए 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की संभवत: निगरानी की गयी। इसमें दो मंत्री, 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे। सरकार इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है।

चिदंबरम ने कहा कि सरकार या तो पेगासस जासूसी के आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति से कराए या उच्चतम न्यायालय से मामले की जांच के लिए किसी मौजूदा न्यायाधीश को नियुक्त करने का अनुरोध करे।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले को संसद में स्पष्ट करना चाहिए कि लोगों की निगरानी हुई या नहीं।

आरोपों पर सरकार के जवाब पर चिदंबरम ने सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा संसद में दिए गए बयान का जिक्र किया और कहा कि यकीनन वह बहुत ही ‘‘चतुर मंत्री’’ हैं और इसलिए बयान को ‘‘बहुत ही चतुराई से तैयार किया गया।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘उन्होंने (वैष्णव) किसी ‘अनधिकृत निगरानी’ की बात से इनकार किया। उन्होंने निगरानी की बात से इनकार नहीं किया। वह इस बात से इनकार नहीं करते कि ‘अधिकृत निगरानी’ की गई। निश्चित तौर पर मंत्री ‘अधिकृत निगरानी’ और ‘अनधिकृत निगरानी’ में अंतर जानते हैं।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया तो इसे किसने प्राप्त किया? इसे सरकार ने प्राप्त किया या इसकी किसी एजेंसी ने।’’

राज्यसभा सदस्य ने यह भी कहा कि सरकार इस बारे में स्पष्ट करे कि स्पाईवेयर प्राप्त करने के लिए कितना भुगतान किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘ये साधारण, सीधे सवाल हैं जो हर आम भारतीय पूछ रहा है और मंत्री को इसका सीधा उत्तर देना चाहिए। आखिरकार, फ्रांस ने जांच का आदेश दिया है जब यह खुलासा हुआ कि राष्ट्रपति (एमैनुएल) मैक्रों का नंबर भी उन नंबरों में शामिल था, जिन्हें हैक किया गया। इजराइल ने स्वयं भी अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से जांच कराने का आदेश दिया है।’’

कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि दो प्रमुख देश जांच का आदेश दे सकते हैं तो भारत जांच का आदेश क्यों नहीं दे सकता और चार सामान्य सवालों के जवाब क्यों पता नहीं कर सकता।

चिदंबरम ने कहा कि मामले से राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंता भी पैदा होती है क्योंकि यदि सरकार का यह कहना है कि उसने निगरानी नहीं की तो फिर सवाल उठता है कि जासूसी किसने की।

उन्होंने कहा, ‘‘क्या यह भारत की कोई एजेंसी है जिसने सरकार की जानकारी के बिना यह किया या कोई विदेशी एजेंसी है जिसने सरकार की जानकारी के बिना भारतीयों के टेलीफोन हैक किए।’’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि आरोप वैश्विक मंच पर भारत की छवि खराब करने पर केंद्रित हैं, चिदंबरम ने कहा कि गृह मंत्री ने बहुत सावधानी के साथ अपने शब्दों का चयन किया और निगरानी की बात से इनकार नहीं किया।

उन्होंने कहा, ‘‘वह (शाह) इस बात से इनकार नहीं करते कि पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारत में कुछ टेलीफोन नंबर हैक किए गए। इसलिए, असल में, गृह मंत्री ने जो कहा, उसकी तुलना में, जो उन्होंने नहीं कहा वह अधिक महत्वपूर्ण है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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