30 मई को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में मोदी सरकार का अनोखा होगा शपथग्रहण समारोह
By हरीश गुप्ता | Published: May 28, 2019 07:40 AM2019-05-28T07:40:21+5:302019-05-28T07:40:21+5:30
27 मई गुजरात और वाराणसी के दो दिवसीय दौरे से लौटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार गठन के अत्यधिक बोझिल कार्य में जुट गए हैं. राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में शपथग्रहण 30 मई को होगा जैसा 2014 में 26 मई को हुआ था. शपथग्रहण समारोह का समय शाम 7 बजे रखा गया है ताकि अत्यधिक गर्मी के कारण मेहमानों को परेशानी नहीं हो. मेहमानों को राहत पहुंचाने के लिए इस समय राष्ट्रपति भवन में काफी संख्या में कूलर लगाए जाने की संभावना है. राष्ट्रपति भवन के अगले हिस्से में आयोजित होने वाले समारोह से यह संकेत मिलता है कि यह स्वतंत्र भारत में अनोखी घटना होगी.
वैश्विक नेताओं के शपथग्रहण समारोह का हिस्सा होने की संभावना है. चूंकि दरबार हॉल देश-विदेश के मेहमानों के लिए छोटा पड़ेगा इसलिए इसे राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित किया जाएगा. कहा जा रहा है कि मोदी मेहमानों की लिस्ट को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं ताकि उनके ठहरने और प्रोटोकॉल के लिए उचित व्यवस्था की जा सके. व्यापक जनादेश ने प्रधानमंत्री की चुनौतियां बढ़ाई हैं. इसका कारण यह है कि उनके ईद-गिर्द अनुभवी नेताओं की कमी है.
सुमित्रा महाजन नहीं होने के कारण उनका पहला काम लोकसभा के नए अध्यक्ष को खोजना है. भाजपा के वरिष्ठ नेता हुकुमदेव नारायण यादव ने चुनाव नहीं लड़ा था. संकेत हैं कि कर्नाटक से चार बार सांसद रह चुके प्रहलाद जोशी के नाम पर विचार हो रहा है. वह 2014 से पीठासीन अधिकारियों के पैनल में हैं. साथ ही कर्नाटक में भी उनका व्यापक अनुभव था. सात बार सांसद रहे संतोष गंगवार का नाम भी विचाराधीन है. उन्हें निवर्तमान सरकार में काफी तरजीह देते हुए श्रम मंत्री का दर्जा दिया गया है. निश्चित तौर पर संसदीय और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी संभावितों की लिस्ट में शामिल हैं.
शिवसेना की उपसभापति पद की पेशकश संभव :
शिवसेना को उपसभापति पद की पेशकश की जा सकती है. इसकी वजह अन्नाद्रमुक के एम. थंबीदुरई का लोकसभा चुनाव हारना है. अरुण जेटली के मंत्री पद संभालने की स्थिति में नहीं होने के कारण भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को सरकार में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश जारी है. वैकल्पिक व्यवस्था होने तक शाह के पार्टी अध्यक्ष पद संभालते रहने की संभावना है. 2014 में राजनाथ सिंह ने कई महीनों तक दो पदों गृह मंत्री और पार्टी प्रमुख की जिम्मेदारी निभाते रहे. प्रधानमंत्री मोदी के पास लोकसभा के 303 सांसदों और राज्यसभा के 73 सांसदों में से छिपी प्रतिभा को खोजने का कठिन काम है.