नयी दिल्ली, 12 नवंबर दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) कथित फोन टैपिंग मामले में महज इस आधार पर जांच रोक नहीं सकते कि उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक का आदेश दिया गया है।
दिल्ली पुलिस के वकील ने प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई के ओएसडी के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि उनकी याचिका पर सुनवाई की कोई जल्दबाजी नहीं है, क्योंकि उच्च न्यायालय द्वारा पारित तीन जून के आदेश ने उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की हुई है।
दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा, "वह आदेश की आड़ में जांच को नहीं रोक सकते।"
ओएसडी लोकेश शर्मा के वरिष्ठ वकील ने न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद को अवगत कराया कि आदेश के बावजूद उनके मुवक्किल ने मामले में गिरफ्तारी की आशंका जताई और स्पष्ट किया कि वह जांच में शामिल होंगे। उन्होंने कहा, 'हम जांच में शामिल होंगे।
दिल्ली पुलिस के इस रुख के मद्देनजर कि दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा के संबंध में पहले के आदेश में कोई स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है, न्यायालय ने कहा कि वह पहले से निर्धारित तारीख के अनुरूप 13 जनवरी को मामले की सुनवाई करेगी और राजस्थान सरकार की याचिका पर सीलबंद लिफाफे में कुछ दस्तावेज रिकॉर्ड में रखने के लिए नोटिस भी जारी किया।
न्यायालय ने गत तीन जून को दिल्ली पुलिस से कथित फोन टैपिंग मामले में ओएसडी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था।
इसने दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की ओएसडी की याचिका पर नोटिस जारी कर दिल्ली सरकार, राजस्थान राज्य और शिकायतकर्ता केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से जवाब मांगा था।
इस महीने की शुरुआत में, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पहले दो मौकों पर पेश होने में विफल रहे ओएसडी को 12 नवम्बर को पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
अदालत को बताया गया कि नोटिस में कहा गया था कि उपस्थित होने या नोटिस की शर्तों का पालन करने में विफलता उनकी गिरफ्तारी के लिए उत्तरदायी होगी।
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