भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्ण एला ने बुधवार को कहा कि अगर अमेरिका की दिग्गज कंपनियां फाइजर और मॉडर्ना कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान अपने टीकों के तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण करतीं तो उनके टीकों को मंजूरी नहीं मिलती।हैदराबाद स्थित कोविड-19 टीका निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने कहा कि उसके टीके की सटीकता वायरस के मूल स्वरूप के खिलाफ 85 प्रतिशत रही होगी – जो पहली बार चीन में मिला था।एला ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाले निकाय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं आपसे ईमानदारी से कह रहा हूं। अगर फाइजर और मॉडर्ना ने दूसरी लहर के दौरान तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण किया होता, तो उन्हें उनके उत्पादों के लिए लाइसेंस नहीं मिला होता। ” उन्होंने कहा, जब उन्हें (फाइजर और मॉडर्ना) लाइसेंस मिला, उस समय वायरस का वुहान स्वरूप (सबसे ज्यादा फैला हुआ) था। इसलिए वे 90 प्रतिशत सटीकता हासिल करने में सफल रहे, लेकिन अब वही टीका इजराइल में 35 प्रतिशत प्रभावशीलता दिखा रहा है।‘‘ एला ने कहा, "... और कोवैक्सीन एकमात्र टीका है... नियामक प्रक्रिया में देरी हुई और हम दूसरी लहर में फंस गए। (हम) भाग्यशाली थे कि दूसरी लहर में हमारी प्रभावशीलता लगभग 77 प्रतिशत रही। लेकिन अगर वायरस का वुहान स्वरूप होता और डेल्टा नहीं होता तो यह प्रभावशीलता 85 प्रतिशत होती।
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