रूढ़ियों में जकड़े भारतीय, सच्चा भारतीय होने के लिए धार्मिक सहिष्णुता को मानते हैं जरूरी, लेकिन दूसरे धर्म में शादी के ज्यादातर विरोधी

By अभिषेक पारीक | Updated: July 1, 2021 12:58 IST2021-07-01T12:48:11+5:302021-07-01T12:58:23+5:30

भारत में आजादी हासिल हुए 70 साल से अधिक का वक्त हो चुका है। हम अक्सर सुनते हैं कि भारत हर धर्म का आदर करता है, लेकिन हालिया एक रिसर्च देश की प्रतिष्ठा के विपरीत विचार पेश करती है।

pew survey finds indians believes in religious tolerance but most opponents of marriage in other religions | रूढ़ियों में जकड़े भारतीय, सच्चा भारतीय होने के लिए धार्मिक सहिष्णुता को मानते हैं जरूरी, लेकिन दूसरे धर्म में शादी के ज्यादातर विरोधी

प्रतीकात्मक तस्वीर

Highlightsप्यू रिसर्च सेंटर ने 'भारत में धर्मः सहिष्णुता और अलगाव' रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट 17 भाषाओं के तीस हजार वयस्कों से बातचीत पर आधारित है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर लोग दूसरे धर्म में शादी के विरोधी हैं। 

भारत में आजादी हासिल हुए 70 साल से अधिक का वक्त हो चुका है। हम अक्सर सुनते हैं कि भारत हर धर्म का आदर करता है, लेकिन हालिया एक रिसर्च देश की प्रतिष्ठा के विपरीत विचार पेश करती है। अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने सर्वे में ज्यादातर लोग भारत को धार्मिक दृष्टिकोण से सहिष्णु मानते हैं। बावजूद इसके भारतीय समाज का ताना-बाना आज भी रूढ़ियों में जकड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े धार्मिक समूहों में बहुत कम चीजें समान हैं और वे अलग रहना चाहते हैं। 

प्यू रिसर्च सेंटर ने ‘भारत में धर्मः सहिष्णुता और अलगाव‘ रिपोर्ट जारी की है। 2019 के आखिर और 2020 की शुरुआत के बीच 17 भाषाओं के तीस हजार वयस्कों से आमने-सामने की बातचीत पर आधारित है। जिसमें ज्यादातर लोगों ने कहा कि सच्चा भारतीय होने के लिए सभी धर्मों का सम्मान महत्वपूर्ण है। सर्वे में सामने आया कि करीब 60 फीसद भारतीय रोजाना पूजापाठ करते हैं। 

अंतर धार्मिक शादी को सही नहीं मानते

सर्वे में सामने आया कि ज्यादातर लोग अंतर धार्मिक शादियों को ठीक नहीं मानते हैं। हर समुदाय के ज्यादातर लोगां का कहना है कि इन्हें रोकना उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर आता है। 80 फीसद मुसलमान और 65 फीसद हिंदुआें का मानना है कि उनके समुदाय के लोग अन्य समुदायों के साथ शादियां बंद करें। दूसरी जातियों में शादी रोकने के लिए भी ज्यादातर सहमत नजर आते हैं। 

हिंदू होने के साथ सच्चा भारतीय होना महत्वपूर्ण

64 फीसद हिंदुओं का कहना है कि हिंदू होने के साथ सच्चा भारतीय होना महत्वपूर्ण है। 59 फीसद हिंदू अपनी भारतीय पहचान को हिंदी बोलने में सक्षम होने के साथ जोड़ते हैं। साथ ही राष्ट्रीय पहचान के दो आयाम हिंदी बोलने में सक्षम होना और हिंदू होना दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं। जो लोग यह बातें कहते हैं उन्होंने 2019 के संसदीय चुनाव में भाजपा को वोट दिया था। ऐसे लोगां की संख्या कुल हिंदुओं का करीब 30 फीसद है। 

जाति को लेकर बेहद सजगता

सर्वे में सामने आया कि मुसलमानों और ईसाइयों सहित भारतीयों में जाति को लेकर बेहद सजगता है। ऐसे लोगों की संख्या काफी है, जिन्होंने खुद को ओबीसी, एससी और एसटी बताया है। सर्वे में 69 फीसद ने खुद को एससी/एसटी/ओबीसी-एमबीसी के रूप में बताया है। इनमें से 56 फीसद स्नातक हैं। 

अपने धर्म के लोगों से दोस्ती

ज्यादातर हिंदू कहते हैं कि उनके अधिकांश या लगभग सभी करीबी दोस्त हिंदू हैं। आबादी का बहुमत होने के कारण ऐसा हो सकता है लेकिन जैन और सिख जैसे आबादी में कम हिस्सेदारी रखने वाले धर्मों के लोग भी कहते हैं कि उनके ज्यादातर या करीबी दोस्त उनके धार्मिक समुदाय से ही आते हैं। हालांकि बहुत कम भारतीय यह कहते हैं कि उनके पड़ोस में केवल उनके अपने धार्मिक समूह के लोग होने चाहिए। बावजूद इसके कई लोग अपने आवासों और गांवों से दूसरे धर्मों के लोगों को बाहर रखना चाहते हैं। 45 फीसद हिंदू कहते हैं कि वह अन्य धर्मों के पड़ोसियों के साथ ठीक हैं। वहीं इतने ही लोग कहते हैं कि इसके लिए वह तैयार नहीं हैं। 36 फीसद हिंदू मुस्लिमों को पड़ोसी के रूप में नहीं चाहते हैं। 

 

Web Title: pew survey finds indians believes in religious tolerance but most opponents of marriage in other religions

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