पश्चिम बंगाल से अवैध रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों को निर्वासित करने को लेकर याचिका दाखिल

By भाषा | Updated: June 26, 2021 16:56 IST2021-06-26T16:56:02+5:302021-06-26T16:56:02+5:30

Petition filed for deportation of illegal Rohingya, Bangladeshi infiltrators from West Bengal | पश्चिम बंगाल से अवैध रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों को निर्वासित करने को लेकर याचिका दाखिल

पश्चिम बंगाल से अवैध रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों को निर्वासित करने को लेकर याचिका दाखिल

नयी दिल्ली, 26 जून उच्चतम न्यायालय में शनिवार को एक जनहित याचिका दाखिल कर केंद्र और राज्य सरकार को एक साल के भीतर पश्चिम बंगाल में अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का पता लगाने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

पश्चिम बंगाल निवासी एवं सामाजिक कार्यकर्ता संगीता चक्रवर्ती द्वारा दाखिल याचिका में केंद्र और राज्यों को उन सरकारी कर्मचारियों, पुलिसकर्मियों और सुरक्षा बलों की पहचान करने और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई किये जाने का अनुरोध किया है जिनके ‘‘घुसपैठ माफिया’’ से संबंध हैं। याचिका में ऐसे लोगों की आय से अधिक संपत्तियों को जब्त करने का भी अनुरोध किया गया है।

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है, “लोगों को हुआ नुकसान बहुत बड़ा है क्योंकि दो करोड़ रोहिंग्या-बांग्लादेशी घुसपैठियों ने न केवल बंगाल की जनसांख्यिकी को बदल दिया है, बल्कि ये कानून के शासन और आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है, विशेषकर राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद।’’ याचिका में कहा गया है, ‘‘घुसपैठियों की शीघ्र पहचान की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक मुश्किल है। यह किसी धार्मिक समूह से निपटने की बात नहीं है, बल्कि यह उन लोगों की पहचान करने की बात है जिन्होंने अवैध रूप से सीमा पार की और बंगाल में रहना जारी रखा और यह कानून तथा संविधान के खिलाफ है।’’

याचिका में कहा गया है कि घुसपैठियों की संख्या पांच करोड़ तक पहुंच गई है और वे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए, याचिका में कहा गया है कि ‘भारत के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का अधिकार’ के साथ-साथ ‘भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने का अधिकार’ केवल भारत के नागरिकों के लिए उपलब्ध है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1) में स्पष्ट है।

इसमें कहा गया है, ‘‘हालांकि, रोहिंग्या बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण भारतीय नागरिकों के इस अधिकार का हनन हो रहा है। जीवन के अधिकार में भोजन का अधिकार, आश्रय का अधिकार, अच्छे वातावरण का अधिकार और आजीविका का अधिकार शामिल है।’’ याचिका में अवैध घुसपैठ को एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने के लिए भारतीय दंड संहिता में एक अध्याय जोड़ने के वास्ते केंद्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

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Web Title: Petition filed for deportation of illegal Rohingya, Bangladeshi infiltrators from West Bengal

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